वाशिंगटन। अमेरिका ने शुक्रवार को चीन सरकार से तिब्बतियों के मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करने का आग्र्रह किया है। इस संबंध में अमेरिकी संसद में एक प्रस्ताव पेश किया गया जो सर्वसम्मति से पास हो गया। प्रस्ताव में तिब्बतियों के विभिन्न मुद्दों सहित उनके धार्मिक अधिकारों का जोरदार समर्थन किया गया है। साथ ही तिब्बत समुदाय के लोग बिना किसी चीनी हस्तक्षेप के अपने 15वें दलाई लामा (धार्मिक गुरु) का चुनाव कर सकते हैं। इस मुद्दे का प्रस्ताव में विशेष रूप से जिक्र है। प्रस्ताव लाने का श्रेय सांसद पैट्रिक लेहे, डियान फेनस्टीन, टेड क्रूज और मार्को रूबियो को जाता है। सांसद लेहे ने कहा,”तिब्बतियों के अधिकारों के लिए हम ना केवल तिब्बत में बल्कि दुनिया के किसी भी हिस्से में उनके साथ खड़े हैं। उन्हें अपना धार्मिक नेता चुनने का पूरा हक है।”
अमेरिका ने कहा, चीन 11वें पंचेन लामा को तुरंत रिहा करे
अमेरिका ने शुक्रवार को 11वें पंचेन लामा गेधुन चोकेई न्यामा को तुरंत रिहा करने की चीन से मांग की है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीदर नौअर्ट ने कहा,”25 अप्रैल को 11वें पंचेन लामा गेधुन चोकेई न्यामा का जन्मदिन था। बताया जाता है कि छ वर्ष की उम्र में चीन सरकार ने उनका अपहरण कर लिया था। तब से वह कभी सार्वजनिक मंच पर नहीं दिखे।
हम चीन से उन्हें जल्द रिहा करने की मांग करते हैं।” उन्होंने आगे कहा, चीन इस मामले में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता को बनाए रखते हुए धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा दे। हीदर ने कहा, अमेरिका को चिंता है कहीं चीन, तिब्बत की धार्मिक, भाषा और सांस्कृतिक पहचान को खत्म ना कर दें। चीन सरकार पहले ही धीरे-धीरे लारुंग गार और याचेन गार मठ की पूजा पद्धति को नष्ट कर रहा है।