पटना। ऐसा नहीं है कि बिहार में लोग पुलिस सुरक्षा की मांग केवल अपने जानमाल की सुरक्षा के लिए करते हैं। यहां सरकारी अंगरक्षक लेकर चलना न केवल राजनेताओं के लिए बल्कि नगर निकायों के जनप्रतिनिधियों और यहां तक कि नौकरशाहों व नव धनाढ्यों के लिए भी “स्टैटस सिंबल” का विषय है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की इकाई “ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट” (बीपीआर एंड डी) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि बिहार एक ऐसा राज्य है जहां देश भर के सबसे ज्यादा वीआईपी और वीवीआईपी रहते हैं। यहां तक देश की राजधानी दिल्ली या फिर देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से भी अधिक।
पिछले साल बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर बताया था कि बिहार में 3,591 ऐसे वीआईपी हैं जिन्हें सरकार ने अपने खर्च पर अंगरक्षक उपलब्ध करा रखा है। इनकी सुरक्षा में बिहार पुलिस ने अपने बल की कुल क्षमता का 12 फीसद बल तैनात कर रखा है। इतना ही नहीं 3,591 वीआइपी व वीवीआईपी की सुरक्षा पर सरकार हर साल 141.95 करोड़ रुपये खर्च करती है। यह राशि उस सरकारी खजाने की है जिसे सरकार खुद जनता की गाढ़ी कमाई मानती है।
इस संबंध में राज्य के पुलिस महानिदेशक केएस द्विवेदी ने कहा कि बिहार में प्रति लाख की आबादी की सुरक्षा का दायित्व केवल 75 पुलिसकर्मियों पर है। ऐसे में वीआईपी सुरक्षा में जरूरत से ज्यादा पुलिस बल की तैनाती से राज्य की विधि-व्यवस्था से लेकर आपराधिक मामलों की जांच तक पर बुरा असर पड़ता है ।
देश की राजधानी दिल्ली में जहां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रिमंडल के सभी सदस्य, देश के सभी राज्यों के लोकसभा व राज्यसभा सदस्य, सर्वोच्च न्यायालय व दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश, विभिन्न देशों के राजनयिक और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी रहते हैं, वहां कुल वीआईपी व वीवीआईपी की संख्या महज 489 है।
इन सभी 489 वीआईपी की सुरक्षा में दिल्ली पुलिस के 7,420 अधिकारी व जवान तैनात हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश जो देश का सबसे बड़ा राज्य है, वहां भी कुल वीआईपी की संख्या बिहार से तकरीबन आधा यानी 1,852 है। उत्तर प्रदेश में वीआईपी सुरक्षा में केवल 4,681 पुलिस के अधिकारी व जवान तैनात हैं।