नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) विश्वविद्यालय में आरक्षण नीति के कथित उल्लंघन में सुधार के लिए 30 से ज्यादा सांसदों ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखा है। इनमें माकपा, भाकपा, कांग्रेस, राकांपा, राजद और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद शामिल हैं।
पत्र के मुताबिक, “प्रवेश नीति और प्रक्रिया 2018-19 (अनुलग्नक-1) के प्रावधानों में लिखित परीक्षा को अर्हता परीक्षा बना दिया है जबकि मौखिक परीक्षा को चयन का पूर्ण आधार बना दिया गया है। प्रवेश प्रक्रिया में भेदभाव का अध्ययन करने के लिए विश्वविद्यालय ने 2016 में एक समिति गठित की थी।
उसने भेदभाव खत्म करने के लिए मौखिक परीक्षा के अंक 30 से घटाकर 15 करने की सिफारिश की थी। इससे साफ है कि विश्वविद्यालय ने मौलिक अधिकारों, केंद्रीय शिक्षा संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम 2006 और एससी-एसटी अत्याचार अधिनियम 1989 का उल्लंघन किया है।”