एक बार की बात है कि एक अदमी गुब्बारे बेचकर अपना घर चलाता था। वह अपने नगर के आस-पास जाकर गुब्बारे बेचता था। बच्चों को लुभाने के लिए वह तरह-तरह और कई रंगों के गुब्बारे रखता था। लाल, पीले, हरे, नीले। और जब कभी उसे लगता कि बिक्री कम हो रही है तो वह झट से एक गुब्बारा हवा में छोड़ देता। जिसे जब बच्चे उड़ता देखते तो तुरंत दौड़े-दौड़े गुब्बारे खरीदने के लिए उसके पास पहुंच जाते थे।
इसी तरह एक दिन वह गुब्बारे बेच रहा था और बिक्री बढ़ाने के लिए बीच-बीच में गुब्बारे उड़ा रहा था। पास ही एक छोटा-सा बच्चा खड़ा था और वह ये सब बड़ी उत्सुकता के साथ देख रहा था। इस बार जैसे ही गुब्बारे वाले ने एक सफेद गुब्बारा उड़ाया, वह तुरंत उसके पास पहुंचा और मासूमियत से बोला कि अगर आप ये काला वाला गुब्बारा छोड़ेंगे तो क्या वो भी ऊपर जाएगा?
गुब्बारा वाले ने उसे देखा और उसके भोले से प्रश्न पर मुस्कुराया और बोला कि हां बिलकुल ऊपर जाएगा बच्चे! आगे उसे समझाते हुए बोला कि गुब्बारे का ऊपर जाना इस बात पर नहीं निर्भर करता है कि वो किस रंग का है बल्कि इस पर निर्भर करता है कि उसके अंदर क्या है?
इसी तरह हम इंसानों के लिए भी ये बात लागू होती है। कोई अपने जीवन में क्या उपलब्धियां पाएगा, कितना ऊंचा जाएगा, ये सब उसके बाहरी रंग-रूप पर निर्भर नहीं करता है, बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि आप अंदर से क्या सोचते हैं? हमारे मनोभाव ही हमारी ऊंचाई तय करते हैं।