लखनऊ। संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम के बीच रामजी जोड़े जाने के उप्र सरकार के फरमान से विपक्ष में भले खलबली मच गई है, लेकिन सच यह है कि 1991 में जब राम मंदिर आंदोलन चरम पर था तब केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार ने आंबेडकर के नाम के साथ रामजी शब्द जोड़ दिया था। उस समय भारत सरकार द्वारा जारी डाक टिकट में उनका पूरा नाम डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर लिखा गया।
गुरुवार को योगी सरकार ने वह डाक टिकट भी मीडिया के बीच प्रसारित किया। यद्यपि राज्यपाल राम नाईक की पहल पर आंबेडकर के मूल नाम को यथावत अंकित किए जाने की पहल की गई है, लेकिन इसके पीछे सियासी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले से ही आंबेडकर के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित किया। तब भी बसपा ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी, लेकिन उनके मूल नाम को सरकारी अभिलेखों में दर्ज किए जाने पर अब जोर दिया गया है।
आंबेडकर के प्रति भाजपा के रुख से बसपा और सपा में प्रतिक्रिया शुरू हो गई है। वैसे तो राम मंदिर आंदोलन के बाद से ही दलितों के बीच राम शब्द पर एक खाईं खींचने की पहल हुई थी। उत्तर प्रदेश मूल के उदितराज इस समय दिल्ली से भाजपा के सांसद हैं, लेकिन भाजपा में शामिल होने से पहले वह इंडियन जस्टिस पार्टी चलाते थे।
राजनीति में सक्रिय हुए उदितराज ने न केवल आईआरएस की नौकरी छोड़ दी थी बल्कि, उन्होंने अपना मूल नाम रामराज बदलकर उदितराज रख लिया था। बाबा साहब के नाम के मध्य रामजी लिखे जाने पर बसपा सुप्रीमो मायावती भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्तकर चुकी हैं। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी कहते हैं कि आंबेडकर पूरे देश के सम्मान और आस्था के प्रतीक हैं लेकिन, बसपा ने उन्हीं लोगों से हाथ मिलाया है जो आंबेडकर को अपमानजनक शब्दों से नवाजते रहे हैं।
योगी सरकार ने जारी किया आदेश
दरअसल, सपा-बसपा गठबंधन के बीच भाजपा सरकार ने आंबेडकर के मूल नाम को सरकारी अभिलेखों में लिखे जाने के लिए अफसरों की जवाबदेही तय कर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। बुधवार को योगी सरकार ने इस तरह का शासनादेश जारी किया। इसके पहले सात मार्च को एक और शासनादेश जारी हुआ जिसमें सभी कार्यालयों, सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों परिषदों के कार्यालयों व शैक्षणिक संस्थाओं में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के चित्र लगाने का आदेश था।
मोदी अपना पूरा नाम क्यों नहीं लिखते : मायावती
बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर का पूरा नाम डा. भीमराव रामजी आंबेडकर लिखने के मुद्दे पर गरमाई सियासत में बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती भी कूद गईं। गुरुवार को जारी बयान में उन्होंने भाजपा पर सस्ती राजनीति करने का आरोप लगाते हुए सवाल भी दागे।
कहा कि भाजपा अब लोगों का ध्यान बांटने के लिए ओछे हथकंडे आजमा रही है। बाबा साहब अपने पूरे जीवन दलित हितों की लड़ाई लड़ते रहे और करोड़ों लोग उनके नाम के पहले परम पूज्य लगाते हैं। भाजपा एंड कंपनी को इससे उसी तरह से तकलीफ होती है, जैसे उन्हें लोगों द्वारा बहनजी कह कर संबोधित करने से उनके पेट में दर्द शुरूहो जाता है। गांधीजी को उन के पूरे नाम मोहनदास करमचंद गांधी से संबोधित नहीं किया जाता है और सरकारी विज्ञापनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा नाम नरेंद्र दामोदर दास मोदी भी नहीं लिखा जाता है। ऐसे में बाबा साहब डॉ.आंबेडकर के नाम पर ही राजनीति क्यों की जा रही है?