वाशिंगटन। फेसबुक से निजी जानकारियां चोरी होने और चुनाव में इसके गलत इस्तेमाल का मामला इस वक्त सुर्खियों में हैं। इसे लेकर मार्क जकरबर्ग ने भी अपनी गलती मानते हुए निजी डाटा को सुरक्षित रखने के कदम उठाने की बात कही है। मगर इसके बाद भी फेसबुक पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपे एक लेख में भी फेसबुक पर आपकी जासूसी करने का आरोप लग रहा है। इस लेख में लिखा गया है कि, फेसबुक आपके फोन के माइक के जरिए आपकी बातचीत सुनता है और फिर उस बातचीत को कई कंपनियों को बेचा जाता है।
इस लेख में कई यूजर्स के हवाले से ये दावा किया गया है कि, जब भी यूजर फेसबुक पर किसी प्रोडक्ट या किसी स्थान पर घूमने जाने की बातें करते हैं। उसके कुछ वक्त बाद ही उन्हें उस प्रोडक्ट से जुड़ी प्रचार सामग्री आने लगती है। वहीं कुछ यूजर्स ने डेस्टिनेशन के मामले में भी ऐसा ही अनुभव किया है। इसी वजह से यूजर्स भी मान रहे हैं कि फेसबुक उनके माइक्रोफोन के जरिए हो रही बातचीत को सुनता है, ताकि यूजर्स को वैसी प्रचार सामग्री भेजी जा सके। मगर फेसबुक इन आरोपों से इनकार कर रहा है। उसके मुताबिक इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दुनिया भर के अरबों लोग जुड़े हैं। ऐसे में उनके पास ऐसी कोई सुविधा मौजूद नहीं है कि वो लोगों की बातचीत की समीक्षा कर सकें।
फेसबुक के पूर्व एड-टार्गेटिंग प्रोडक्ट मैनेजर एंटोनियो गार्सिया मार्टिनेज ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि, “अरबों लोगों के डाटा की समीक्षा संभव नहीं है। एनएसए के पास मौजूद संसाधनों के दम पर भी ऐसा काम नहीं किया जा सकता है।” फेसबुक के पूर्व ऑपरेशन्स मैनेजर सैंडी पाराकिलस ने भी एंटोनिया की बात का समर्थन किया है। “उनके मुताबिक फेसबुक को यूजर्स की बातचीत के संदर्भ को समझना पड़ेगा। उसके बिना किसी को प्रचार सामग्री भेजना संभव नहीं है। इतना ही नहीं यूजर्स की बातें सुनना और उसे समझने के चक्कर में फेसबुक का काफी वक्त और संसाधन खर्च होंगे। ऐसे में इसकी संभावना काफी कम है कि फेसबुक ऐसा करे।” हालांकि फेसबुक के पास पहले से ही ऐसे कई तरीके मौजूद हैं, जिसके दम पर वो ये पता कर सकता है कि किस यूजर को कौन सी प्रचार सामग्री भेजी जाए।
ऐसे ट्रैक कर रहा फेसबुक
इस लेख को लिखने वाली जोएना स्टर्न ने इसके उलट अपनी एक समस्या का जिक्र करते हुए ये दावा किया है कि, फेसबुक आपकी बातचीत सुनता है। उनके मुताबिक वो सर्दी-जुकाम से परेशान थीं। इसे लेकर उन्होंने अपने पति से बात की और उन्हें एक दवा लाने को कहा। इसके कुछ देर बाद ही उनके पास दवाई का एड आ गया। जब उन्होंने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि फेसबुक ने फोन रिकॉर्डिंग से नहीं, बल्कि ट्रैकिंग का दूसरा तरीका अपनाया।
स्टर्न ने इस दावे को साबित करने के लिए कुछ तथ्य भी रखें। उनके मुताबिक कुछ दिन पहले उन्होंने एक स्टोर से टिश्यू पेपर और दूसरा सामान खरीदा था। जहां उन्होंने लॉएल्टी प्वाइंट हासिल करने के लिए अपना फोन नंबर दर्ज किया था। इसके बाद डाटा इकठ्ठा करने वाली एजेंसी ने खरीदी से जुड़ी अहम जानकारी ले ली। दवा बनाने वाली कंपनी ने उस एजेंसी से ये जानकारी खरीदी और उस आधार पर स्टर्न को सर्दी-जुकाम की दवाई का एड भेजा गया।
इसका मतलब कंपनी के पास स्टर्न का नाम, फोन नंबर, ई-मेल एड्रेस समेत तमाम निजी जानकारियां थी। उसी आधार पर उसने दवा का एड उन्हें भेजा।
FB के पास होती है आपकी लोकेशन डिटेल
फेसबुक ऐप में ऐसी सेटिंग्स होती हैं, जिसके आधार पर वो आपकी लोकेशन ट्रैक करता है। इससे फेसबुक को यूजर्स की खरीदी और वो कहां आ-जा रहे हैं, उससे जुड़ी जानकारी मिलती है। ऐसे में अगर कोई यूजर किसी एक ही दुकान पर बार-बार सामान खरीदने जा रहा है। तो उसे फेसबुक के जरिए ये मैसेज बार-बार मिलेगा कि वो दोबारा उस दुकान पर खरीदी करने जाए।
फोन माइक को FB से करें ऐसे डिसेबल
अगर आप भी अपनी बातें फेसबुक तक पहुंचने से चिंतित हैं, तो परेशान न हो। अपने स्मार्टफोन की सेटिंग्स में बदलाव करके आप भी चैन की नींद सो सकते हैं। अगर आप ऐपल का स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसकी सेटिंग्स के भीतर प्राइवेसी ऑप्शन में माइक्रोफोन को सेलेक्ट करें और फिर फेसबुक के एक्सेस को बंद कर दें। इससे आपकी बातें रिकॉर्ड नहीं होंगी।
वहीं एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म में भी ऐसी सेटिंग्स कर सकते हैं। एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर आधारित स्मार्टफोन की सेटिंग्स को सेलेक्ट करें। फिर ऐप पर जाएं और फेसबुक को सेलेक्ट करें। जैसे ही आप फेसबुक को सेलेक्ट करेंगे। उसमें परमिशन का एक ऑप्शन आएगा। उसके अंदर जाकर माइक्रोफोन को डिसेबल कर दें। इससे बातें रिकॉर्ड नहीं होंगी।