नई दिल्ली। भारत सरकार अब शहीदों के बच्चों की शिक्षा का पूरा फंड देगी। रक्षा मंत्रालय ने आज एक अधिसूचना जारी कर ये जानकारी दी है। बता दें कि इससे पहले इन बच्चों की शिक्षा को सरकार फंड करती थी लेकिन वह हर महीने 10,000 रूपए होते थे। अब इसकी सीमा जिसे शैक्षिक रियायत कहा जाता है उसे खत्म कर दिया गया है।
ये रियायत सैन्य बलों के अधिकारियों के बच्चों पर लागू होते हैं। इस योजना में 3,400 लाभार्थी बच्चे आते हैं और वर्तमान में इन पर सलाना 5 करोड़ का खर्च आता है। शैक्षिक रियायत केवल सरकारी स्कूलों/सैनिक स्कूलों और अन्य वैसे स्कूल जो सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हैं उनमें पढ़ने वाले बच्चों पर ही लागू होंगे। साथ ही वैसे ऑटोनोमस संस्थान जिन्हें पूरी तरह से केंद्र या राज्य सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त हो उनमें पढ़ने वाले बच्चे भी इसका लाभ ले पायेंगे। रक्षा मंत्रालय ने ट्वीट कर ये जानकारी दी।
आपको बता दें कि दिसंबर में रक्षा मंत्रालय ने शहीदों के बच्चों को दी जाने वाली शैक्षिक फंड पर पुनर्विचार करने को लेकर संभावना व्यक्त की थी। सैैन्य कर्मचारी संघ के प्रमुख जिसमें सेना, भारतीय वायु सेना, और नेवी प्रमुख शामिल होते हैं ने रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर उन्हें इस फैसले पर फिर से विचार करने को कहा था। सैन्य कर्मचारी संघ के प्रमुख और नेवी प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने पत्र में लिखा था कि सरकार की ये छोटी सी पहल ये सुनिश्चित करेगी कि देश उन साहसी महिलाओं और पुरुषों के त्याग को याद रखता है और उनकी सराहना करता है।
इन लोगों ने देश के लिए बहुत बड़ा त्याग किया है और उनके लिए शैक्षिक रियायत का प्रावधान उनके लिए और देश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए एक छोटी सी पहल होगी। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखकर इस बारे में सूचित किया था।
971 के युद्ध के बाद शहीदों के बच्चों के लिए ट्यूशन और अन्य फीस के पूर्ण पुनर्व्यवस्था की अनुमति दी गई है। इसे बाद में ऑपरेशन मेघदूत (सियाचिन-साल्टोरो रिज) और ऑपरेशन पवन (श्रीलंका में आईपीकेएफ) में मारे गए अधिकारियों और सैनिकों के बच्चों के लिए भी लागू कर दिया गया था।