कोयल और आम

asiakhabar.com | March 20, 2018 | 5:11 pm IST
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हिमाचल प्रदेश से लेखक संतोष उत्सुक की बाल कविता ‘कोयल हर बरस आती है’ में बाल मन की उत्कंठाओं को दर्शाया गया है।

कोयल हर बरस आती है 
रोज़ सुरीला गीत सुनाकर     
आमों में मिश्री घोल जाती है 
आम हो जाते हैं खास 
जिन्हें खाते हैं हम सब 
दोपहर और शाम 
कोयल की तान सुन 
दादी कहती है चुनमुन
नानी कहती है मुनमुन 
सीखकर कोयल से 
बोलो मीठी बोली 
बोलो आम सा मीठा 
कोयल के रंग पर न जाओ 
उसकी मीठी बातों में आओ

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