फिर सड़कों पर धड़केगी ओल्ड बुलेट, जानिए तब से लेकर अब तक का सफर

asiakhabar.com | March 9, 2018 | 5:14 pm IST
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चेन्नई। रॉयल इनफील्ड का नाम सुनते ही धड़कने तेज हो जाती हैं और उसमें भी तब रोमांच ज्यादा बढ़ जाता है जब बात पुरानी बुलेट की हो। कंपनी ने इसी को ध्यान में रखते हुए चेन्नई में यूज्ड मोटरसाइकिल बिक्री के सेगमेंट में उतरने के फैसला किया है। इसके तहत कंपनी ने विंटेज नाम से पहला स्टोर चेन्नई में खोला है।

कंपनी का कहना है कि वह मुख्य रूप से सेकेंड हैंड रॉयल इनफील्ड खरीदने वाले ग्राहकों को लक्षित कर रही है। विंटेज स्टोर के जरिये उन ग्राहकों को यूज्ड और दुरुस्त की हुई, दोनों तरह की रॉयल इनफील्ड बाइक बेची जाएंगी।

दमदार रहा है इतिहास, आज भी बनी हुई है दिलों की धड़कन

जिस रॉयल इनफिल्ड को आप सड़कों पर बड़ी शान से दौड़ाते हैं उसकी शुरुआत एक साइकिल के से हुई थी। 1890 में एक अंग्रेज एलबर्ट ईडी ने आरडब्ल्यू स्मिथ के साथ मिलकर साइकिल बनाने की कंपनी शुरू की और इसका नाम रखा इनफील्ड मैनुफैक्चरिंग। इसका यह नाम इनफील्ड में बनी रॉयल स्माॉल आर्म फैक्ट्री से मिला है।

इसके बाद इस कंपनी ने साइकिल में मोटर लगाकर बाइक का रूप देना शुरू किया। 1893 में यह मशीन सामने आई। कंपनी ने पहली रॉयल इनफील्ड बाइक 1901 में बनाई थी जिसमें 239 सीसी का इंजन लगा था। इसके बाद कंपनी ने 1912 तक इसके कई मॉडल पेश किए जिनमें साइड कार लगा 770 सीसी के इंजन वाला 180 मॉडल भी था।

1914 में पहला विश्व युद्ध शुरू हुआ और कंपनी ने सैनिकों को बड़ी संख्या में यह बाइक्स उपलब्ध करवाई। 1921 में रॉयल इनफील्ड में 976 सीसी का इंजन विकसित किया और 1924 में पहली 350 सीसी वाले फोर स्ट्रोक इंजन के साथ बाइक पेश की। इसके बाद कंपनी में 1926 में भीषण आग लगी जिससे भारी नुकसान हुआ लेकिन इसके बावजूद काम जारी रहा।

1932, यही वो साल था जब दुनिया के सामने पहली बुलेट आई। यह एक फोर स्ट्रोक सिंगल सिलेंडर वाली मोटरसाइकिल थी जिस पर बुलेट लिखा था। इसके बाद 1939 में दूसरा विश्व युद्ध शुरू हुआ। ब्रिटिश अधिकारियों ने कंपनी के लोगों को बुलाया और सैनिकों के लिए बुलेट बनाने के लिए कहा। इसके बाद कंपनी ने सैनिकों के लिए 250 सीसी से लेकर 570 सीसी तक के इंजन के साथ कई मॉडल तैयार किए। 1943 में कंपनी ने युद्ध के लिए एयरबोर्न मॉडल्स तैयार किए जिन्हें विमानों से पैराशुट के माध्यम से जंग के मैदान में गिराया गया।

इस दौरान कंपनी लगातार बाइक में नए-नए बदलाव करती रही। कंपनी ने अपनी बाइक की फ्रेम में बदलाव किया और स्विंग आर्म और हाइड्रोलिक शॉकर्स लेकर आई। सामने की तरफ टेलिस्कोपिक फोर्क लगा था। इसके बाद रॉयल इनफील्ड ट्विन्स का रास्ता साफ हुआ।

1949 पहली बार भारतीय सेना ने रॉयल इनफील्ड मोटरसाइकिल्स का ऑर्डर दिया और इसके बाद कंपनी ने मद्रास में फैक्ट्री खोलने का फैसला किया। इसके बाद 1955 में रेडिच ने मद्रास मोटर्स के साथ हाथ मिलाकर इनफील्ड इंडिया की शुरुआत की। इसके बाद यहां 350 सीसी की बुलेट्स बनना शुरू हुई।

यूके में कंपनी के दिवालिया होने के बावजूद भारत में यह बाइक बनती रही। इसके बाद 1994 में आयशर मोटर्स ने इसका अधिग्रहण किया। अपनी शुरुआत से लेकर आज तक यह बाइक लाखों दिलों की धड़कन बनी हुई है और इसके चाहने वाले आज भी एंटिक बाइक्स को पसंद करते हैं।


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