हैदराबाद। जिंदगी की मुश्किलों के आगे कई बार लोग हथियार डाल देते हैं। मगर जिनके इरादे मजबूत होते हैं, वो मुश्किलों से भी रास्ता निकाल लेते हैं। ऐसी ही एक महिला हैं हैदराबाद की जमिला। जो पति की मौत के बाद टूटी नहीं। बल्कि तिनका-तिनका जोड़कर दोबारा अपना संसार बसाया। वो भी बतौर महिला डाकिया।
पति की मौत के बाद जमिला को अनुकंपा नियुक्ति मिली और उन्होंने पति के काम को अपनाते हुए बच्चों को पढ़ाया-लिखाया। वो बतौर महिला डाकिया लोगों के घरों में टेलिग्राम, पार्सल और चिठ्ठियां पहुंचाने का काम कर रही हैं।
जमिला महबूबाबाद जिले के गरला मंडल की रहने वाली हैं। उनके पति ख्वाजा मिया पोस्टमैन थे और दस साल पहले उनकी मौत हो गई थी। उस वक्त बड़ी बेटी पांचवी कलास में पढ़ती थी और छोटी तीसरी में।
जमिला पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। मगर किस्मत पलटी और उन्हें पति की नौकरी मिल गई और वो बनी गई पहली महिला मुस्लिम पोस्ट वुमन।
संघर्षों से लड़कर हुईं सफल-
जमिला के लिए ये काम आसान नहीं था। उन्हें साइकिल चलाना नहीं आती थी। ऐसे में घर-घर चिठ्ठियां पहुंचाने के लिए उन्हें तपती धूप में पैदल चलना पड़ा। मगर अब वो साइकिल चलाना सीख रही हैं। उन्हें जो 6 हजार रुपए महीने की तनख्वाह मिल रही है, वो परिवार का खर्चा चलाने के लिए कम है। ऐसे में जमिला साड़ियां बेचकर हर महीने अतिरिक्त दस हजार रुपए तक कमा ले रही हैं और उनका संघर्ष ही है आज बड़ी बेटी जहां इंजीनियरिंग कर रही है। वहीं छोटी बेटी डिप्लोमा कोर्स कर रही है।