नई दिल्ली। इच्छामृत्यु पर ऐतिहासिक फैसला सुनाने के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला और लिया है। उच्चतम न्यायालय ने दो बच्चे पैदा करने की नीति अनिवार्य करने की याचिका को खारिज कर दिया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता पृथ्वीराज चौहान की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह फैसला लिया। न्यायालय ने कहा कि यह एक नीतिगत मामला है और अदालत इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
12 फरवरी को दो बच्चे की नीति को अनिवार्य करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में यह भी कहा गया था कि केंद्र सरकार को परिवार नियोजन को बढ़ावा देना चाहिए और देश के लोगों को दो बच्चे पैदा करने की नीति का पालन करने के लिए प्रेरित करने के लिए ऐसे सभी उपायों को अपनाना चाहिए।
जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि लगातार बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए दो-बच्चो की नीति को अनिवार्य करने का कदम उठाना जरूरी हो गया है। हम दो हमारे दो की नीति के तहत केंद्र सरकार को हर जरूरी उपाय करने चाहिए। हालांकि कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से साफ इनकार कर दिया है।
बता दें कि दो बच्चों की नीति परिवार नियंत्रण (छोटा परिवार खुशी परिवार) की पॉलिसी है, जो माता-पिता को अपने परिवार को दो बच्चों तक सीमित करने के लिए प्रोत्साहित करती है। भारत में राष्ट्रीय स्तर पर परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के अलावा दो बच्चों की नीति आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों में प्रभावी है।
2016 में चीन ने रद की एक-बच्चे की नीति –
गौरतलब है कि अपनी बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए चीन ने 1979 में एक-बच्चे की नीति को लागू किया था, यह चीन के परिवार नियोजन नीति का ही हिस्सा था। रिपोर्टों के मुताबिक, 2017 में चीन में बच्चों के जन्म लेने की संख्या में लगभग 630,000 गिरावट दर्ज हुई। संतुलन बनाए रखने के लिए चीन ने साल 2016 में अपनी एक-बच्चे की नीति को निरस्त कर दिया है।