वाशिंगटन। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत अमेरिका का नजदीकी और बहुमूल्य सहयोगी है। भविष्य की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए दोनों देशों के सहयोग की उज्ज्वल संभावनाएं हैं। यह बात ट्रंप प्रशासन के आतंकवाद निरोधी अभियान से जुड़े उच्च अधिकारी ने कही है। अमेरिका के आतंकवाद निरोधी अभियान के समन्वयक नाथन सेल्स इस बेहतर तालमेल के लिए राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात को कारण मानते हैं। उन्होंने कहा, भारत खास महत्व वाला, खास मूल्यों वाला और हमारा खास सहयोगी देश है।
शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद दोनों देशों के मजबूत सहयोग का सिलसिला शुरू हुआ है, जो भविष्य में भी जारी रहेगा। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जून 2017 में दौरे के समय दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को बढ़ाया था। इसी के बाद जैश-ए-मुहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और दाऊद इब्राहीम की डी कंपनी के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू हुआ। अमेरिका ने पाकिस्तान की धरती पर पलने वाले आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव बढ़ाया। सेल्स ने कहा, इसी सहयोग के चलते अमेरिका ने भारत के लिए खतरा बने आतंकी सरगनाओं और संगठनों को प्रतिबंधित किया। अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा और उसके सरगना हाफिज सईद, हिज्बुल मुजाहिदीन और उसके सरगना सैयद सलाहुद्दीन को प्रतिबंधित किया है।
सेल्स ने कहा, दक्षिण एशिया में आईएस के मजबूत होने की आशंका है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कुछ इलाकों में उसकी उपस्थिति महसूस की जा रही है। अफगानिस्तान के अतिरिक्त बांग्लादेश में भी आइएस ने बड़े हमले किए हैं। 2016 में ढाका में होले आर्टिसन बेकरी पर हुआ आतंकी हमला इसका उदाहरण है। उक्त हमले में 22 लोग मारे गए थे। सेल्स ने कहा, दक्षिण एशिया में सक्रिय खोरसान मॉड्यूल पर अमेरिका नजर बनाए हुए है। सहयोगी देशों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।