नई दिल्ली। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकपास समिति की बैठक के लिए मिले निमंत्रण को ठुकरा दिया है। खड़गे ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर इस बैठक में शामिल होने से इन्कार किया है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि विशेष आमंत्रण विपक्ष के स्वतंत्र आवाज को दबाने का संयुक्त प्रयास है जो महत्वपूर्ण भ्रष्टाचार रोधी वॉच डॉग के चयन के लिए की गई है।
बैठक में ना जाने को लेकर खड़गे ने मीडिया से कहा कि मैं सिर्फ कांग्रेस नहीं बल्कि पूरे विपक्ष की आवाज हूं। यह बिल सरकार की तरफ से उपयुक्त इरादे, प्रतिबद्धता और निष्पक्षता की जरूरत को लगातार कमजोर करता है। भागीदारी के अधिकार के बिना बैठक में मेरी मौजूदगी महज आईवॉश होगा।
उल्लेखनीय है कि चयनित लोकपाल को देश के शीर्ष अधिकारियों समेत प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिमंडल के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का अधिकार होगा।
खड़गे को विशेष आमंत्रण
लोकपाल चयन समिति की बैठक बुलाई गई है, जिसमें मल्लिकार्जुन खड़गे को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। इस बैठक में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पीएम नरेंद्र मोदी और सीजेआई दीपक मिश्रा भी हिस्सा ले रहे हैं। इससे पहले लोकपाल नियुक्ति पर चयन समिति की बैठक को लेकर कांग्रेस के सूत्रों का कहना था कि मल्लिकार्जुन खड़गे गुरुवार को दिल्ली पहुंचे, लेकिन उनके शामिल होने को लेकर पहले पार्टी कानूनी सुझाव लेगी तभी इस पर कोई फैसला ले पाएगी। लोकपाल के कामकाज के नियमों का मसौदा तैयार करने के लिए 15 जून तक का वक्त तय किया है।
2013 में दोनों सदनों की मंजूरी से हुआ था पास
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 15 जून तक नियमों को अंतिम रूप देने के बाद मंत्रालय को सार्वजनिक पत्र और सरकार कानूनी दस्तावेज के जरिए अधिसूचना जारी करनी होगी। तब लोकपाल लागू हो सकेगा। गौरतलब है कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून साल 2013 में दोनों सदनों (लोकसभा व राज्यसभा) की सहमति से पास हुआ था। पिछले चार साल से लोकपाल कानून सरकारी अधिकारियों की फाइलों में अटक कर रह गया है। इस बिल में साफ-साफ लिखा गया है कि भ्रष्टाचार से जुड़े हम मामले की जांच लोकपाल के जरिए होगी।