बांग्लादेश से आ रहे शरणार्थियों को पाक-चीन कर रहे मददः सेना प्रमुख

asiakhabar.com | February 22, 2018 | 4:17 pm IST

नई दिल्ली। सेना प्रमुख बिपिन रावत ने बांग्लादेश की तरफ से होने वाली घुसपैठ और आने वाले शरणार्थियों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि बांग्लादेश की तरफ से आने वाले शरणार्थियों को पाक का समर्थन है। वो सीमा पर प्रॉक्सी वॉरफेयर जारी रखना चाहता है और इसमें उसे हमारे उत्तरी पड़ोसी की मदद मिलती है।

बुधवार को सेना प्रमुखस ने एक कार्यक्रम में डोकलाम और बांग्लादेशी घुसपैठ के मसले पर बात रखी। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश से होने वाला माइग्रेशन दो कारणों से है। पहला कि उनके पास जगह की कमी है। मानसून में उनका ज्यादातर हिस्सा डूब जाता है और वो कुछ सीमीत जगह में रह जाते हैं।

दूसरा कारण है हमारे पश्चिमी पड़ोसी द्वारा प्लान किया इमिग्रेशन। हमेशा इस कोशिश में रहते हैं कि इस इलाके पर कब्जा बनाया जाए। प्रॉक्सी डाइमेंशन वाला वॉर फेयर हमारे पश्चिमी पड़ोसी द्वारा बहुत अच्छी तरह खेला जा रहा है और इसमें उसे हमारी उत्तरी पड़ोसी की मदद मिल रही है।

इस दौरान सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि डोकलाम मुद्दे पर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, डोकलाम के हालात अब अच्छे हैं। डोकलाम विवाद के दौरान सिलिगुड़ी कॉरिडोर का जिक्र करते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि इस पर खतरे का ख्याल रखा जा सकता है, लेकिन हमें उत्तर पूर्व की समस्याओं को समग्रता के साथ देखना होगा।

‘डोकलाम पर अब चिंता करने की जरूरत नहीं’

बीते दिनों विवादित तिराहे पर सड़क बनाने को लेकर भारत और चीन के बीच तनातनी का माहौल बना रहा। भारतीय सेना ने चीन को सड़क बनाने से रोका। जिसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच 73 दिनों तक गतिरोध बना रहा। दरअसल, डोकलाम इलाके से भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर की दूरी काफी कम है, जो पूर्वोत्तर (नॉर्थ ईस्ट) को भारत के शेष क्षेत्रों से जोड़ता है।

माना जा रहा है कि डोकलाम के जरिए चीन की नजर सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर है, जिससे वह नॉर्थ ईस्ट के कई इलाकों पर कब्जा जमा सके। बुधवार को एक सम्मेलन में सेना प्रमुख ने साफ कर दिया है कि अब चिंता की जरूरत नहीं है। इस महीने की शुरुआत में जनरल रावत, विदेश सचिव विजय गोखले और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भूटान दौरे पर गए थे। इस दौरे में उन्होंने भूटान सरकार के शीर्ष नेतृत्व से डोकलाम की स्थिति पर चर्चा की थी। डोकलाम विवाद के बाद शीर्ष भारतीय अधिकारियों का यह पहला भूटान दौरा था। इसे दोनों पक्षों ने गोपनीय रखा था।

भाजपा इतनी तेजी से नहीं उभरी जितनी….

सेना प्रमुख ने एआईयूडीएफ (अखिल भारतीय संयुक्त डेमोक्रेटिक फ्रंट) का जिक्र करते हुए कहा कि एआईयूडीएफ तेजी से उभरी है, जबकि भाजपा को उभरने में सालों लग गए। अखिल भारतीय संयुक्त डेमोक्रेटिक फ्रंट तेजी से असम में बढ़ रहा है। तब 1984 में भाजपा ने महज दो सीटें जीती थी। बता दें कि एआईयूडीएफ मुस्लिमों के पैरोकार के रुप में 2005 में बना था और फिलहाल लोकसभा में उसके तीन सांसद और असम विधानसभा में 13 विधायक हैं।

हालांकि ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट पर सेना प्रमुख के बयान पर AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि सेना प्रमुख को राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, किसी राजनीतिक पार्टी के उदय पर बयान देना उनका काम नहीं है। लोकतंत्र और संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है, सेना हमेशा एक निर्वाचित नेतृत्व के तहत काम करती है।

‘हमसे शुद्ध हिंदी बोलते हैं अरुणाचल के लोग’

आर्मी चीफ ने बताया, ‘अरुणाचल प्रदेश के लोग ‘शुद्ध’ हिंदी बोलते हैं, हमारे मुकाबले उनकी हिंदी बेहतर है। वे स्कूल नहीं बुलाते- ‘विद्यालय’ कहते हैं। इस तरह की शुद्ध हिंदी वे बोलते हैं और इन लोगों को हमारे साथ मिलाना बहुत ही जटिल समस्या नहीं है।’ बता दें कि बीते दिनों कई ऐसे मामले में देखने को मिले, जहां पूर्वोत्तर के लोगों के साथ गैरों जैसा व्यवहार किया गया। इसी के संदर्भ में सेना प्रमुख ने यह बात कही।

पड़ोसी देश तेजी से बढ़ा रहा है अपनी आर्थिक और सैन्य क्षमता

वहीं नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लान्बा ने चीन के इरादों को लेकर आगाह करते हुए कहा है कि वह तेजी से अपनी आर्थिक और सैन्य क्षमता बढ़ा रहा है। बुधवार को नई दिल्ली में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वह सीमा पर लगातार आक्रामक रवैया अपनाए हुए है। इसके अलावा पिछले साल के डोकलाम गतिरोध से साफ है कि सिलिगुड़ी कॉरिडोर भी खतरे से बाहर नहीं है।

चीन से पूरी एलएसी पर झड़पें

एडमिरल लान्बा ने कहा कि चीन की सेना के साथ पूरी वास्तविक नियंत्रण रेखा ([एलएसी)] पर अक्सर झ़़डपें होती रहती हैं। यह झड़प पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा अतिक्रमण की कोशिशों के कारण होती है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर का बड़ा इलाका अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा से मिलता है। उन्होंने इस इलाके में ढांचागत निर्माण और देश के अन्य हिस्सों के साथ संपर्क बढ़ाने पर भी जोर दिया।


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