अहमदाबाद। इशरत जहां एनकाउंटर केस में आरोपी बनाए गए पूर्व डीजीपी, पीपी पांडे को सीबीआई की विशेष अदालत ने डिस्चार्ज कर दिया है। कोर्ट ने पीपी पांडे द्वारा खुद को इस केस से बरी किए जाने की याचिका लगाई थी। मामले में दायर चार्जशीट में पांडे को आरोपी नंबर 2 बनाया गया था।
इसमें उन पर अपहरण, गैरकानूनी कैद और इशरत जहां और तीन अन्य अतिरिक्त न्यायिक हत्या के आरोप थे। इस पर कोर्ट ने 5 फरवरी को सुनवाई पूरी कर ली थी और 16 फरवरी तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद 16 फरवरी को फैसले के लिए 21 तारीख तय की थी।
हालांकि, पांडे की इस याचिका का इशरत जहां की मां ने विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि प्राइमा फेसी चार्जशीट में दिए गए सबूस साफ दिखाते हैं कि पांडे खोडियार स्थित उस फार्म पर इशरत से मिलने कई बार गए थे जहां उसे अवैध रूप से रखा गया था।
हालांकि, जमानत पर चले रहे पीपी पांडे ने दलील दी थी कि उनके खिलाफ दो गवाहों के बयान विरोधाभासी थे और अदालत में पेश किए गए अन्य 105 गवाहों में से भी किसी ने उनका नाम नहीं लिया था। उनके वकील ने अदालत में कहा कि सीबीआई ने केंद्र सरकार की अनुमति लिए बिना आरोपपत्र में उनका नाम आरोपी के तौर पर शामिल कर दिया।
जबकि इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति लिया जाना आवश्यक था। उन्होंने पीपी पांडे की प्रभारी डीजीपी (इस मामले के लंबित रहते हुए भी) के तौर पर पदोन्नति को भी इस मामले से उन्हें बरी किए जाने का आधार करार दिया। मालूम हो कि पीपी पांडे ने पिछले साल अप्रैल में उस समय इस्तीफा दे दिया था जब प्रभारी डीजीपी के तौर पर उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।