लखनऊ। जिस फेसबुक अकाउंट से सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल और वायुसेना के ग्रुप कैप्टन अरुण मारवाह को शिकार बनाया गया, उसके फ्रेंडलिस्ट में भारत के रक्षा अनुसंधान केंद्र (डीआरडीओ) के दो अधिकारी भी शामिल हैं। यही नहीं, वायुसेना मुख्यालय के लॉजिस्टिक अनुभाग के अलावा सेना के महत्वपूर्ण अनुभागों के अधिकारी भी उससे जुड़े हुए हैं।
वहीं ‘हनी ट्रैप’ का शिकार बनाने वाला फेसबुक अकाउंट अब भी सक्रिय है। नई दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय का तकनीकी विंग लगातार ‘हनी ट्रैप’ करने वाले फेसबुक अकाउंट की डिटेल खंगाल रहा है। सेना मुख्यालय के सूत्रों की मानें, तो ग्रुप कैप्टन अरुण मारवाह और जबलपुर में तैनात ले. कर्नल को जिस फर्जी फेसबुक अकाउंट के जरिए संपर्क किया गया था, उसमें डीआरडीओ के दो सीनियर अधिकारी, वायुसेना के लॉजिस्टिक अनुभाग के अधिकारी, भारतीय सेना की महत्वपूर्ण यूनिटों के अधिकारी, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के अलावा कई वैज्ञानिक भी शामिल हैं।फेसबुक अकाउंट पर कैलीफोर्निया सहित दो देशों में रहने वाले लोगों की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है।
फिर साधा एक सैन्य अधिकारी से संपर्क
मंत्रालय का तकनीकी विंग ‘हनी ट्रैप’ वाले अकाउंट की गतिविधियों पर नजर रख रहा है। उस अकाउंट से शुक्रवार रात भी एक सैन्य अधिकारी से संपर्क किया गया था। हालांकि, इस अधिकारी ने कोई रिस्पांस नहीं दिया है।
इस नियम को तोड़ने पर फंसेंगे
इस मामले में एक बड़ी लापरवाही सेना, वायुसेना और नौसेना के अधिकारियों की साइबर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (एसआईआरटी) के नियमों का पालन न करना भी है। इसे लेकर इन अधिकारियों पर जल्द कार्रवाई की संस्तुति की जा सकती है।
‘हनी ट्रैप’ वाले फेसबुक अकाउंट से जुड़े वायुसेना, नौसेना और सेना के कई अधिकारियों ने वर्दी में अपनी फोटो ही प्रोफाइल में लगा दी। इतना ही नहीं, अपनी वर्तमान तैनाती के बारे में भी उसी प्रोफाइल में जानकारी दे दी है। जबकि नियम है कि छद्म नाम से ही जवान और अधिकारी फेसबुक पर अपना अकाउंट खोल सकते हैं। उस पर उनकी सेवा से जुड़ी कोई भी जानकारी नहीं होगी।