चंडीगढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना जनधन दम तोड़ती नजर आ रही है। इस योजना के तहत खोले गए बहुत से खाते बगैर लेनदेन के निष्क्रिय हो गए हैं। पंजाब में ऐसे खातों की संख्या करीब आठ लाख है। अब बैंक इन खातों को बंद करने की तैयारी में है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त 2014 को जनधन खाता योजना का शुभारंभ किया था। इन खातों में काफी समय से कोई लेनदेन नहीं हुआ है। पंजाब में जनधन के तहत करीब 61 लाख खाते खोले गए थे। इसमें से 13.5 फीसदी ऐसे खाते है जिनमें सालों से न तो पैसा जमा हुआ है और न ही इन खातों में पैसा है। निष्क्रिय पड़े करीब 8 लाख बैंक खाते बैंकों को चुभ रहे है।
जनधन के निष्क्रिय खाते होंगे बंद-
बैंकों ने अब इन खातों को बंद करने का फैसला किया है। इन खातों को बंद करने से पहले बाकायदा खाताधारकों को नोटिस जारी किया जाएगा। एक माह के भीतर अगर खाताधारक कोई जानकारी नहीं देता है तो फिर बैंक इसे बंद कर देंगे। क्योंकि इन खातों को मेन्टेन करने में बैंकों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।
बंद खातों पर बैंक अधिकारियों ने जताई चिंता-
वहीं, इन खातों में पैसा न होने के कारण बैंकों को आंकड़ों को भी यह खाते बिगाड़ रहे है। गत दिवस बैंकर्स कमेटी की बैठक में भी यह मुद्दा पूरी शिद्दत के साथ उठा था। जहां पर सभी बैंकों के अधिकारियों ने इस पर चिंता जताई थी।
राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी के कन्वीनर पीएस चौहान का कहना है कि पंजाब में करीब 61 लाख जनधन खाते है। इनमें से बड़ी संख्या में खाते सुचारू रूप से चल रहे है। यानी इसमें पैसों का लेनदेन जारी है। लेकिन करीब 8 लाख ऐसे खाते चिन्हित किए गए है, जिनमें खाते खुलने के बाद से न तो कोई लेनदेन हुआ और न ही इसमें पैसे जमा है। अब इन खातों को बंद कर देना ही सही कदम होगा।
चौहान ने कहा कि खाता बंद करने से पहले खाताधारकों को नोटिस जारी किया जाएगा। खाताधारक अगर खाते को चलाने के इच्छुक होंगे तो उन्हें बंद नहीं किया जाएगा और अगर इच्छुक नहीं होंगे तो उन्हें बंद कर दिया जाएगा। वहीं, बैंकों ने 31 मार्च से पहले ही निष्क्रिय खातों से मुक्ति पाने की रणनीति तय कर ली है।