लखनऊ। कैराना सै भाजपा सांसद हुकुम सिंह का शनिवार को निधन हो गया। रविवार यानी आज उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके आवास पर नेताओं और समर्थकों का हुजूम उमड़ पड़ा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अंतिम संस्कार में शामिल होने करीब 10.30 बजे उनके आवास पर पहुंच गए।
योगी ने सांसद हुकुम सिंह को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान कैबिनेट मंत्री सतीश महाना, राज्यमंत्री सुरेश राणा, सांसद संजीव बालियान, विधायक तेजेंद्र निर्वाल, भाजपा जिलाध्यक्ष पवन तरार भी सीएम के साथ मौजूद रहे। फार्म हाउस के अंदर सीएम योगी आदित्यनाथ ने सांसद के परिवार के लोगों से वार्ता की।
यूपी के मुख्यमंत्री ने कहा कि हुकुम सिंह अच्छे व्यवहार और उच्च विचारों के नेता थे। उनके आदर्श लोगों में हमेशा लोगों में जीवित रहेंगे। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह, बेटी के बेटे शिवा और परिवार के अन्य लोगों को सांत्वना दी। उन्होंने कहा कि सांसद हुकुम सिंह के रूप में पार्टी को अपूर्णीय छवि हुई है। सदन भी सांसद की कमीं को कभी पूरा नही कर पाएगा।
बताते चलें कि हुकुम सिंह को पिछले कुछ दिनों से सांस लेने में दिक्कत आ रही थी, जिसके बाद उन्हें नोएडा के जेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। करीब एक महीने तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद 79 वर्षीय हुकुम ने शनिवार को आखिरी सांस ली।
वह सात बार यूपी के विधायक रह चुके थे। हुकुम सिंह के निधन की खबर सुनकर राजनीति, साहित्य और समाज के विभिन्न हलकों में शोक की लहर दौड़ गई।
ऐसे आए थे चर्चा में
हुकुम सिंह करीब दो साल पहले उस वक्त चर्चा में आए थे, जब उन्होंने कैराना में हिंदुओं के पलायन का मुद्दा उठाया था। कैराना समेत पश्चिम उत्तर प्रदेश से हिंदुओं के पलायन का मामला उठाने वाले भाजपा के सांसद मुजफ्फरनगर जिले के कैराना में ही रहते थे। उनका जन्म 5 अप्रैल 1938 को हुआ था।
बचपन से ही वह पढ़ाई में काफी होशियार थे। कैराना में इंटर की पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय भेजा गया। वहां पर हुकुमसिंह ने बीए और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की।
मोदी ने जताया दुख
हुकुम सिंह के निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी संवेदनाएं जाहिर करते हुए ट्वीट किया। उन्होंने लिखा- उत्तर प्रदेश से सांसद और वरिष्ठ नेता हुकुम सिंह जी के निधन से काफी दुखी हूं। उन्होंने उत्तर प्रदेश की जनता की सेवा की और किसानों के लिए बहुत काम किया। इस दुख के समय में मेरी सहानुभूति उनके परिवार और समर्थकों के साथ है।
वकालत को बनाया शुरुआती पेशा
हुकुम सिंह ने 13 जून 1958 को रेवती सिंह से विवाह किया। उन्होंने वकालत का पेशा अपना लिया और प्रैक्टिस करने लगे। इसी दौरान हुकुम सिंह ने जज बनने की परीक्षा पीसीएस (जे) भी पास की। मगर, जज की नौकरी शुरू करने से पहले चीन ने भारत पर हमला कर दिया और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने युवाओं से देश सेवा के लिए सेना में भर्ती होने के आह्वान किया, तो वह सेना में शामिल हो गए।
साल 1963 में वह भारतीय सेना में अधिकारी हो गए। हुकुमसिंह ने सैन्य अधिकारी 1965 में पाकिस्तान के हमले के समय अपनी टुकड़ी के साथ पाकिस्तानी सेना का सामना किया। इस समय कैप्टन हुकुमसिंह राजौरी के पूंछ सेक्टर में तैनात थे। जब सब सामान्य होने पर 1969 में उन्होंने सेना से इस्तीफा दे दिया और फिर वकालत करने लगे।
बार चुनाव से राजनीति में कदम
वकीलों के बीच काफी लोकप्रिय होने पर उन्होंने बार अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा और 1970 में चुनाव जीत भी गए। यहीं से उनकी राजनीति की शुरुआत हो गई। 1974 तक उन्होंने इलाके के जनआंदलनों में हिस्सा लिया और लोकप्रिय होते चले गए। हालत ऐसे हो गए थे कांग्रेस और लोकदल दोनों बड़े राजनीतिक दलों ने टिकट देने की बात कही।
वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और चुनाव जीत भी गए। हुकुमसिंह उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बन चुके थे। 1980 में उन्होंने पार्टी बदली और लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा और इस पार्टी से भी चुनाव जीत गए।
तीसरी बार 1985 में भी उन्होंने लोकदल के टिकट पर ही चुनाव जीता और इस बार वीर बहादुरसिंह सरकार में मंत्री बनाए गए। बाद में जब नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने हुकुमसिंह को राज्यमंत्री के दर्जे से उठाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया।