वाशिंगटन। अमेरिकी विशेषज्ञ का कहना है कि भारत और चीन के बीच संबंध शीत युद्ध जैसा बन रहा है। लेकिन चीन को घेरने के लिए अमेरिकी नेतृत्व में बनने वाले किसी मोर्चे में भारत के शामिल होने की संभावना नहीं है।
शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस की फेलो अलिसा आयरिज ने कहा कि भारत और चीन का मजबूत वाणिज्यिक संबंध है लेकिन कुछ कारणों से भारत इससे संतुष्ट नहीं है। ये कारण ठीक वैसे ही हैं जैसे चीन के साथ अपने व्यापार संबंध को लेकर अमेरिका संतुष्ट नहीं है।
आयरिज अमेरिकी विदेश मंत्रालय के दक्षिण और मध्य एशिया ब्यूरो में काम कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि कुछ देर के लिए दोनों देशों के वाणिज्यिक संबंधों ने अपनी रणनीतिक प्रतिस्पर्धा को पीछे कर दिया था। उन्होंने कहा कि भारत जिबूती में सैन्य अड्डा के साथ हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी को लेकर चिंतित है। वह पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ चीन के संबंध और दोनों देशों में चीन के निवेश को लेकर भी चिंतित हो सकता है।
एक सवाल के जवाब में आयरिज ने कहा कि चीन को रोकने के लिए अमेरिकी के किसी प्रयास में भारत के शामिल होने की संभावना नहीं है। भारत ऐसा करना नहीं चाहेगा। वह खुद अपने हितों की रक्षा करना चाहता है। आयरिज पिछले सप्ताह न्यूयार्क में अपनी किताब “आवर टाइम हैज कमः हाउ इंडिया इज मेकिंग इट्स प्लेस इन द वर्ल्ड” लांच होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं।