बिहार में बीजेपी का रुख दलित बस्तियों की ओर, नेताओं की दलित बस्तियों में दस्तक

asiakhabar.com | January 31, 2018 | 4:39 pm IST
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पटना। बिहार में दलितों की बड़ी आबादी को देखते हुए पार्टी के कद्दावर नेताओं ने अपना रुख दलित बस्तियों की ओर कर दिया है। पिछले दिनों पार्टी के आला नेताओं ने दलित बस्तियों में जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात सुनी और दलितों को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी दी।

अब पार्टी की ओर से संत रविदास जयंती मनाई जा रही है।

सामाजिक समीकरण साधने की कवायद-

मिशन-2019 की तैयारी में जुटी भाजपा सामाजिक समीकरण दुरुस्त करने में कोई कोर-कसर नहीं छोडऩा चाहती है। जयंती समारोह की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय सामाजिक अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत पटना गए हुए हैं।

गहलोत केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल दलित चेहरों में प्रमुख हैं। बिहार भाजपा महादलित प्रकोष्ठ की ओर से आयोजित जयंती समारोह को उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय के अलाव भाजपा के कई मंत्री और वरिष्ठ नेता संबोधित करेंगे।

बिहार की सामाजिक संरचना ऐसी है कि अलग-अलग हिस्सों से अलग चेहरे ही अभी के दौर में प्रभावी साबित हो रहे हैं। प्रादेशिक स्वीकार्यता भले ही न हो लेकिन दलित चेहरों में कई ऐसे हैं, जिनमें सम्भावना दिखती है और सभी के सभी नेता मौजूदा समय में राजग के साथ हैं।

दलित राजनीति के हैं कई चेहरे-

मगध में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, सीमांचल में कृष्ण कुमार ऋषि और रमेश ऋषिदेव, मिथिलांचल में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान, राज्य सरकार में मंत्री महेश्वर हजारी, शाहाबाद से छेदी पासवान और राज्य सरकार में परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला, मुनिलाल राम तथा निरंजन राम का नाम इसमें शुमार है।

उप चुनाव से बढ़ी अहमियत-

बिहार में शीघ्र ही लोकसभा की एक और विधानसभा की दो रिक्त सीटों पर उप चुनाव होने वाला है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार चुनाव में तीनों सीट पर दलितों का मत निर्णायक है।

बिहार में रविदास समाज के बड़े नेता में शुमार और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष शिवेश राम दावा करते हैं कि दलितों की आबादी 18 फीसद है। 22 दलित उप-जातियों को महादलित के रूप में पहचाना गया है।

महादलित वर्ग में मुसहर, भुइयां, डोम, धोबी और नट को शामिल किया गया है। राजग सरकार में महादलित आयोग का गठन किया गया था और उनके लिए विशेष कल्याण कार्यक्रम की घोषणा की गई थी। ऐसे में भाजपा ने जयंती के बहाने राजग सरकार के दौरान दलितों को दी गई तमाम सुविधाओं को गिनाने और रिझाने का भी खाका तैयार किया है।


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