बड़ा खुलासाः यूपी में बिजली सुधारते हुए रोजाना होती है तीन कर्मचारियों की मौत

asiakhabar.com | January 25, 2018 | 4:54 pm IST
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक सेवाओं के हालत कितने खस्ता हैं और इंसान की जान कितनी सस्ती है इस बात का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि प्रदेश में रोजाना औसतन तीन लोग बिजली व्यवस्था की खामियों को दूर करने में मौत के शिकार हो जाते है।

पिछले पांच सालों की यदि हम बात करें तो करीब साढ़े तीन हजार लोग प्रदेश की बिजली व्यवस्था को दुरूस्त करने में अपनी जान गंवा बैठे। यानी उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग में काम करना है तो खतरों से खेलना होगा और हो सकता है आपको अपनी जिंदगी से रुखसत भी होना पड़े, लेकिन इसके बावजूद जिंदगी इतनी सस्ती है कि आपकी मौत को खामोशी की चादर उड़ाकर बगैर किसी मुआवजे और मानवीयता के भुला दिया जाता है।

यूपी पॉवर कंज्यूमर फोरम ने जारी किए आंकड़े –

उत्तर प्रदेश पॉवर कंज्यूमर फोरम के चेयरमेन अवधेश कुमार ने आंकड़े जारी करते हुए इस स्थिति को बेहद भयावह बताते हुए कहा कि इससे ज्यादा दुखदायी बात यह है कि मरने वाले कर्मचारी ठेके पर काम करने वाले होते हैं, जिनको किसी भी तरह की सरकारी सहायता की कोई पात्रता नहीं होती है। उनको अनुकंपा नियुक्ति या किसी भी तरह की कोई सहायता उपलब्ध नहीं करवाई जाती है।

यहां तक की लोगों की भी उनकी मौत के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है, यानी उनकी मौत गुमनामी के अंधेरे में गुम होकर रह जाती है।

अवधेश कुमार का कहना है कि इस तरह खतरों से खेलने वाले इन लोगों को सरकार से सभी फायदे लेने वाले सरकारी कर्मचारी दूर खड़े होकर सिर्फ निर्देश देते रहते है। ठेका कर्मचारी बगैर किसी सुविधा के काम करते रहते हैं। कभी-कभी यह लोग चालू लाइन पर अपनी जान पर खेलकर बगैर ग्लव्स के काम रहते हैं। उनका इस तरह से काम करना ही उनकी जान के लिए घातक बन जाता है।

पिछले पांच सालों में 3491 ठेका कर्मचारी हुए मौत के शिकार –

यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश राज्य बिजली विभाग के सुरक्षा निदेशक के द्वारा केंद्रीय बिजली प्राधिकरण को सौंपी गई है। इस रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि इस रिपोर्ट उन मौतों का जिक्र किया गया है, जिनकी मौत के बाद एफआईआर हुई है या जिनकी मौत की सूचना बिजली विभाग के रजिस्टर में दर्ज है।

इसमें मौत की वजहों का भी जिक्र है जिसमें कहा गया है कि ज्यादातर मौतें करंट लगने, पोल से गिरने और पॉवर प्लांट में काम करते वक्त हुई है।

रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले पांच सालों में 2012-13 से लेकर 3491 ठेका कर्मचारी मारे गए। साल 2016-17 में 958 ठेका कर्मचारियों को काम के दौरान अपनी जान गंवाना पड़ी, लेकिन रिपोर्ट में खड़ी फसलों के बिजली की वजह से जलने और जानवरों के करंट से मरने का कोई जिक्र नहीं है।

इस मामले में यूपी पॉवर कन्स्यूमर फोरम ने उत्तर प्रदेश राज्य बिजली विभाग के समक्ष एक याचिका लगाई है कि UPCL को इस तरह की बढ़ती दुर्घटनाओं को रोकने के संबंध में जरूरी दिशा निर्देश प्रदान करें। ऊर्जा नियामक ने फोरम से कहा है कि UPCL को नोटिस देने से पहले एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करे।

इस मामले में उत्तर प्रदेश के ऊर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा, “सबसे पहला काम इस तरह की खतरनाक स्थितियों में काम करवा वाले कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करना है। मैंने अभी रिपोर्ट को देखा नहीं है। मेरी टेबल पर आने के बाद मैं इसका मूल्यांकन करूंगा।”


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