एक राजा था। वह बड़ा सनकी था। उसे यदि किसी व्यक्ति पर गुस्सा आता, तो उसे रात भर बर्फ जैसे ठंडे पानी में खड़े होने की सजा दे देता। एक दिन उसे किसी बात पर अपने महामंत्री अरुणेश पर गुस्सा आ गया। उसने अरुणेश को रात भर ठंडे पानी में खड़े होने की सजा दे दी।
अरुणेश बहुत बुद्धिमान था। वह सोच रहा था कि राजा के दंड से किस तरह छुटकारा मिले और उसे सबक भी सिखाया जा सके! तभी उसके दिमाग में एक विचार आया। जब रात में राजा ने अरुणेश को दंड देने के लिए बुलाया, तो वह खुशी से ठंडे पानी में जाने लगा। यह देखकर राजा को आश्चर्य हुआ। उसने अरुणेश से पूछा कि क्या तुम्हें डर नहीं लग रहा? तब उसने राजा से कहा कि इसमें डर कैसा? यह तो मेरे लिए बहुत फायदेमंद है। राजा ने आश्चर्य से पूछा-कैसे? उसने कहा, मैंने एक वैद्यजी से सुना था कि जो ज्यादा गुस्सा करता है, उसे जल्दी बुढ़ापा आ जाता है। इसका एकमात्र इलाज रात भर बर्फ जैसे ठंडे पानी में खड़े रहना है।
राजा सोचने लगा कि गुस्सा तो मैं भी बहुत करता हूं। इसका मतलब मुझे भी बुढ़ापा जल्दी आएगा। राजा ने कहा कि आज मैं पानी में खड़ा होऊंगा। यह कहकर राजा ठंडे पानी में खड़ा हो गया। जब थोड़ा समय बीता, तो राजा को ठंड लगने लगी, पर जवानी पाने के लालच में वह खड़ा रहा। वह सोचने लगा कि रात भर ठंडे पानी में खड़े होकर कोई कैसे बुढ़ापा दूर कर सकता है? इससे व्यक्ति बीमार पड़ सकता है। यहां तक कि उसकी मौत भी हो सकती है। तभी उसे एहसास हुआ कि उसके अजब-गजब आदेश से लोग कितना परेशान होते होंगे! शायद उसे उसकी गलती का एहसास दिलाने के लिए ही अरुणेश ने उससे ऐसा कहा। अब राजा अपनी गलती पर बहुत पछताने लगा। उसने तुरंत अरुणेश को बुलाकर माफी मांगी और उसकी आंखें खोलने के लिए धन्यवाद भी दिया। राजा ने कभी-भी बेकार में गुस्सा न करने की कसम भी खाई..।