इस वजह से ‘आप’ विधायकों के मामले से नए CEC ने खुद को किया था अलग

asiakhabar.com | January 23, 2018 | 4:56 pm IST
View Details

नई दिल्ली। ओमप्रकाश रावत ऐसे समय मुख्य चुनाव आयुक्त का पदभार ग्रहण करने वाले हैं, जब आम आदमी पार्टी के निशाने पर चुनाव आयोग है।

आप के विधायकों के लाभ के पद मामले से ओमप्रकाश रावत पहले जुड़े हुए थे, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनके ऊपर आरोपों की झड़ी लगा दी थी, जिसकी वजह से उन्होंने इस मामले से अपने आप को अलग कर लिया था।

अपने स्वभाव के अनुरूप केजरीवाल अपने राजनीतिक प्रतिदंद्वियों और उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के खिलाफ बेहद गंभीर आरोप लगाते रहते हैं। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कायर तक कह चुके हैं। वहीं प्रधानमंत्री मोदी से अपनी जान का खतरा भी बता चुके हैं।

केजरीवाल लगा चुके हैं रावत पर गंभीर आरोप-

इसी कड़ी में केजरीवाल अप्रैल 2017 में ओमप्रकाश रावत पर पक्षपात का आरोप लगा चुके हैं, जब वह 21 आप विधायकों के अयोग्यता के मामले की सुनवाई कर रहे थे। केजरीवाल उस वक्त के चुनाव आयुक्त अचल कुमार जोति और ओमप्रकाश रावत की ईमानदारी पर संदेह जता चुके हैं।

केजरीवाल ने उस वक्त आरोप लगाए थे कि दोंनो बीजेपी शासित राज्यों में काम कर चुके हैं, इसलिए इनकी निष्ठा संदेहास्पद है। जोति नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते गुजरात के मुख्य सचिव थे, जबकि ओमप्रकाश रावत मध्य प्रदेश कैडर के हैं, इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खास रह चुके हैं।

अचलकुमार जोति 6 जुलाई 2017 में मुख्य चुनाव आयुक्त बने थे, उस वक्त उन्होंने आम आदमी के विधायकों को अयोग्य ठहराने का मामला चल रहा था, लेकिन जोति ने खुद को केस से अलग नहीं किया था, जबकि रावत ने केजरीवाल के आरोपों से आहत होकर खुद को अलग कर लिया था। उस वक्त रावत द्वारा लिया गया वह एक अभूतपूर्व फैसला था।

जोति रह चुके हैं गुजरात के मुख्य सचिव-

अचलकुमार जोति गुजरात में मोदी के रहते मुख्य सचिव थे, यह बात सही है, लेकिन यह आरोप कि ओमप्रकाश रावत शिवराज सिंह चौहान के बेहद खास थे यह सही नहीं है। शिवराज सिंह ने कभी ओमप्रकाश रावत को पसंदीदा पद नहीं दिया।

मध्यप्रदेश में रहते हुए उन्होने इस बात के संकेत भी दिए थे कि सीएम चौहान उनको कोई बेहतर पद नहीं देंगे इसलिये उन्होने केंद्र में जाने की इच्छा जाहिर की थी। हालांकि इसके बावजूद सीएम चौहान ने ओमप्रकाश रावत को एमपी में रुकने के लिए कहा था और कहा था कि “उनके पास रावत के लिए कुछ योजना है ।”

एमपी कैडर के अफसर हैं ओपी रावत-

इसके बाद ओमप्रकाश रावत एमपी में रूक गए और सोचा कि सीएम का उनके लिए सकारात्मक रूख होगा और उनको कोई बेहतर पोस्ट मिल जाएगी, लेकिन 2012 में रावत को उस वक्त धक्का लगा जब उनकी वरिष्टता को दरकिनार कर उनके जूनियर आर परशुराम को मुख्य सचिव बना दिया गया।

इसके बाद रावत ने राजधानी दिल्ली का रुख किया और केंद्र में भारी उद्योग और सार्वजनिक उपक्रम के सचिव बना दिए गए। इस पद पर वह अप्रैल 2012 से दिसंबर 2013 तक रहे। 2013 में वह चुनाव आयुक्त बना दिए गए।

केजरीवाल के आरोप राजनीति से हैं प्रेरित-

अरविंद केजरीवाल के आरोपों में इसलिए भी कोई दम नही दिखता है, क्योंकि ओमप्रकाश रावत पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के प्रमुख सचिव थे और गौर शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंत्री थे, उसके बाद उनको मंत्रीमंडल से बाहर कर दिया गया।

सीएम केजरीवाल ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए कई बार सीनियर आयएएस अधिकारियों पर आधारहीन आरोप लगाए हैं ओमप्रकाश रावत भी उनमें से एक है, लेकिन इन सारे मामलों में केजरीवाल मर्यादाओं की सीमा का कई बार उल्लंघन कर गए।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *