तिरुवनन्तपुरम। भारत के दक्षिण केरल में कलारीपारांबु गांव त्रिशुर के रहने वाले मदनान के लिए 8 जनवरी, 2018 का दिन वाकई तरह की भावनाओं से भरा हुआ दिन था। उनकी आंखें भी नम थी क्योंकि अपनी गोद ली हुई बेटी खादीजा का निकाह अकबर नाम के एक युवा से हो रहा था। मदनान और उनकी पत्नी को यह पता था कि वह खादीजा की मौजूदगी को घर में मिस करेंगे लेकिन एक सुकून भी था कि बेटी का घर बस रहा है। मदनान एक हिंदू है जिसने खादीजा को तब गोद लिया था जब वह 13 साल की था। उसे खादीजा के बारे में एक दोस्त से पता चला था। मदनान के परिवार को उसे अपनाने के लिए दोबारा नहीं सोचना पड़ा। इस कपल के दो बेटे थे और हमेशा एक बेटी की इच्छा भी थी और जल्द ही खादीजा उनकी लाड़ली बेटी और भाइयों की प्यारी बहन बन गई।
मदनान और उनकी पत्नी थनकामनी ने अपनी बेटी की तरह ही उसे पाला, उसकी सभी जरूरतों का ख्याल रखा। बड़ी बात तो यह है कि हिंदू परिवार में उसके धर्म का सम्मान करते हुए एक मुस्लिम लड़की की तरह ही पाला। उन्होंने खादीजा के लिए हर चीज की। घर में नमाज के लिए एक खास जगह भी तैयार कराई। रमजान के दौरान उसकी पसंदीद डिश भी बनाई जाती थी जिसमें सुहूर और इफ्तार भी शामिल थे। रमजान में हर शाम को मदनान उसके पसंदीदा खाने की चीजें खरीदकर लाते। जब उसकी शादी की उम्र हुई तो मदनान ने एक सच्चे पिता की तरह जिम्मेदारी ली। उन्होंने उसके लिए एक परफेक्ट मैच ही नहीं ढूंढा बल्कि निकाह का सारा खर्च उठाया। उन्होंने इस्लाम के नियमों के अनुसार निकाह करने के लिए स्थानीय मस्जिद की मदद भी ली। मदनान भी निकाह सेरेमनी में मौजूद थे क्योंकि स्थानीय मस्जिद के इमाम ने मस्जिद समिति के पदाधिकारियों की उपस्थिति में औपचारिकताएं की। मदनान के रिश्तेदार और खादीजा के मुस्लिम रिश्तेदारों ने शादी अटैंड की। मदनान का पूर्णकालिक व्यवसाय खेती है। उनके दोनों बेटे ओमान और संयुक्त अरब अमीरात में काम करते हैं। मदनान ने जिंदगी भर खादीजा की देखभाल करने का संकल्प लिया है। उनके मुताबिक बेटी की शादी से कुछ नहीं बदला है। वह हमेशा मेरी लाडली बेटी रहेगी।