नई दिल्ली। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और चार वरिष्ठ न्यायाधीशों के बीच हालिया तनाव के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के गठन की घोषणा कर दी। खास बात यह है कि इसमें चारों वरिष्ठ न्यायाधीशों (जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ) में से किसी को भी शामिल नहीं किया गया है।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में सीजेआइ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविल्कर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं। यह पीठ 17 जनवरी से महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगी।
सूची के मुताबिक, संविधान पीठ जिन महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगी उनमें आधार अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती और व्यस्कों के बीच आपसी सहमति से समलैंगिक संबंध बनाने को अपराध मानने के 2013 के फैसले पर पुनर्विचार शामिल है।
इनके अलावा संविधान पीठ केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष आयु की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध के मसले पर भी सुनवाई करेगी। साथ ही पीठ पारसी महिला के अन्य धर्म के पुरुष से शादी करने बाद धार्मिक पहचान खोने अथवा नहीं खोने के मसले पर भी विचार करेगी।
एक अन्य मसला विवाहेतर संबंधों में सिर्फ पुरुषों को ही सजा के प्रावधान का है। साथ ही पीठ को उन याचिकाओं पर भी सुनवाई करनी है जिसमें सवाल उठाया गया है कि आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सांसद या विधायक कब अयोग्य माने जाएंगे।
मालूम हो कि इन्हीं न्यायाधीशों ने पिछले साल 10 अक्टूबर से केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच सत्ता संघर्ष समेत संविधान पीठ के विभिन्न मामलों की सुनवाई की थी।