नई दिल्ली। आतंकियों के एके 47 से निकलने वाली स्टील बुलेट सुरक्षा बलों के जवानों के लिए जानलेवा साबित हो रही हैं। जवानों के बुलेट प्रूफ शील्ड को भी भेदने में स्टील बुलेट सफल होती है। 31 दिसंबर को आतंकियों से मुकाबले के दौरान सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हो गए थे। दो जवानों को आतंकियों की गोली बुलेट प्रूफ शील्ड को भेद कर लगी थी।
केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पुलवामा में सीआरपीएफ कैंप पर हमले के दौरान दो आतंकियों को एक कमरे में घेर लिया गया था। आतंकियों को खत्म करने के लिए सीआरपीएफ के जवानों ने बुलेट प्रूफ शील्ड के साथ कमरे में प्रवेश किया। दोनों ओर से फायरिंग हुई। फायरिंग में दोनों आतंकी मारे गए, लेकिन उनकी गोली से दो जवान भी शहीद हो गए। वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, आतंकियों की गोली जवानों के बुलेट प्रूफ शील्ड को भेद कर लगी थी।
जांच में पता चला कि बुलेट प्रूफ शील्ड में कोई कमी नहीं थी। बल्कि आतंकियों की ओर चलाई गई गोली का अगला हिस्सा स्टील का होने के कारण बुलेट प्रूफ शील्ड उन्हें रोक नहीं पाया। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सामान्य तौर पर एके 47 राइफल में इस्तेमाल की जाने वाली गोली का अगला हिस्सा तांबा का होता है। अभी तक कश्मीर में आतंकी भी तांबे वाली गोली का इस्तेमाल कर रहे थे। सुरक्षा बल के जवानों को जो बुलेट प्रूफ जैकेट और शील्ड दिए गए थे, वे तांबे वाली गोली को रोकने के लिए पर्याप्त थे। आतंकियों की स्टील बुलेट के आगे ये नाकाफी साबित हुए हैं।
सुरक्षा बलों को आशंका है कि आतंकियों द्वारा इस्तेमाल की गई स्टील बुलेट चीन में बने हो सकते हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फिलहाल इस बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। इसकी जांच चल रही है। इस बात की संभावना है कि चीन ने पाकिस्तानी सेना को स्टील बुलेट की आपूर्ति की होगी और वहीं से ये आतंकियों के पास आई होंगी।
उन्होंने कहा कि इस नई चुनौती से निपटने की तैयारी शुरू हो गई है। कश्मीर में सुरक्षा बलों को ज्यादा मजबूत बुलेट प्रूफ जैकेट और शील्ड उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि आतंकी भले ही एक नई रणनीति के साथ एक-दो बार कामयाब हो जाएं, लेकिन कश्मीर में सुरक्षा बलों का मनोबल ऊंचा है और वे आतंकियों की हर रणनीति का जवाब देने में पूरी तरह सक्षम हैं।