नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों द्वारा शुक्रवार को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में न्यायपालिका में खामिया उजागर करने के बाद देशभर में हड़कंप मचा हुआ है। जहां कुछ लोगों ने जजों के इस कदम का समर्थन किया है वहीं कुछ ने इसका विरोध किया है।
इन चारों जजों ने मीडिया के सामने अपनी चिट्ठी सार्वजनिक करते हुए कहा कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पिछले दो महीनों में जो हुआ उसे लेकर उन्होंने चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखकर उसे सुधारने की बात की थी लेकिन उनकी कोशिश असफल रही।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र है और इसमें इस तरह की चौकाने वाली चीजें होती रहती हैं। इस मामले में पीएम मोदी को सभी जजों और चीफ जस्टिस से बात कर मामले को समझने और सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पीबी सावंत ने कहा कि अगर इन जजों को मीडिया के सामने आकर इत तरह का असाधारण कदम उठाना पड़ा है तो इसका मतलब जरूर कोई गंभीर विवाद है। या तो वो चीफ जस्टिस के साथ है या फिर कोई आंतरिक मुद्दा।
वहीं कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शिद ने कहा कि यह जानकर काफी दुख और सदमा लगा कि देश के सर्वेच्च न्यायलय के जजों पर इतना दबाव आ गया कि उन्हें मीडिया के सामने अपनी बात रखनी पड़ी।
वरिष्ठ वकील उज्जवल निकम ने कहा कि यह न्यायपालिका के लिए काला दिन है। आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस का गलत इश पड़ सकता है। आज से हर आम आदमी सभी फैसलों और आदेशों को आशंका की दृष्टि से देखेगा। हर फैसले पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज आरएस सोढी ने कहा कि मुद्दे का मामला नहीं है, उनकी यह शिकायत एडमिनिस्ट्रेटिव स्तर पर है। वो सिर्फ 4 हैं और उनके जैसे 23 और हैं। वो 4 मिलकर चीफ जस्टिस को गलत साबित कर रहे हैं, यह बचकाना है। मुझे लगता है सभी पर महाभियोग लगया जाना चाहिए और उन्हें अपनी कुर्सी पर बैठकर फैसले सुनाने का अब कोई अधिकार नहीं है।