लंदन। 9000 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में विदेश भाग चुके विजय माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर चल रही सुनवाई बेनतीजा रही। माल्या गुरुवार को सुनवाई के लिए कोर्ट पहुंचे लेकिन बचाव पक्ष अपनी दलीले पूरी नहीं कर पाया। इसके बाद माल्या को 2 अप्रैल तक के लिए राहत मिल गई है।
भारत ने ब्रिटेन से मांगी मदद
भारत ने भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के जल्द प्रत्यर्पण के लिए गुरुवार को ब्रिटेन से सहयोग मांगा। फ्राड और 9,000 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में माल्या के प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटेन में कानूनी प्रक्रिया जारी है। ब्रिटेन की सिक्यॉरिटी एंड इकनॉमिक क्राइम मामलों के मंत्री बेन वैलेस के साथ द्विपक्षीय बैठक में गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने वेस्टमिन्स्टर मेजिस्ट्रेट कोर्ट में चल रहे प्रत्यर्पण के मामले से जुड़ी जानकारी ली।
द्विपक्षीय बातचीत के दौरान रिजिजू ने भगोड़े उद्योगपति के जल्द प्रत्यर्पण में ब्रिटेन का सहयोग मांगा। बैठक के बाद रिजिजू ने ट्वीट किया, “ब्रिटेन के सिक्योरिटी एंड इकनॉमिक क्राइम मामलों के मंत्री बेन वैलेस के साथ द्विपक्षीय बैठक सार्थक रही। हमने साइबर सिक्योरिटी, मजहबी कट्टरता, भारत और ब्रिटेन में वांछित लोगों के प्रत्यर्पण और सूचनाओं के आदान-प्रदान के मुद्दों पर बात की।”
एक अधिकारी ने बताया कि रिजिजू ने माल्या, आइपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी, क्रिकेट बुकी संजीव कपूर समेत 13 लोगों के प्रत्यर्पण में ब्रिटेन से सहयोग की गुजारिश की। भारत ने इनके अलावा 16 अन्य कथित अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई में ब्रिटेन का सहयोग मांगा। रिजिजू ने अपने ब्रिटिश समकक्ष से यह भी कहा कि ब्रिटेन अपनी धरती का कश्मीरियों और खालिस्तानी अलगाववादियों द्वारा भारत विरोधी-गतिविधियों में इस्तेमाल न होने दें।
बैठक में भारत-विरोधी सिख समूहों की ब्रिटेन में गतिविधियों और अतिवादी समूहों द्वारा युवाओं को कट्टर बनाने के प्रयासों पर भी चर्चा हुई। अधिकारी ने बताया कि द्विपक्षीय बैठक एक घंटे से ज्यादा वक्त तक चली। उन्होंने बताया, “रिजिजू ने सुरक्षा से जुड़े मसलों पर चर्चा को जारी रखने के लिए वैलेस को भारत आने का न्योता दिया।”
भारत सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी का देश
भारत सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देशों में है लेकिन यहां के बहुत ही कम कट्टर तत्वों ने खूंखार आतंकी संगठन को ज्वाइन किया है। ऐसे में ब्रिटेन सरकार ने इस्लामी आतंकवाद से निपटने के भारत के अनुभवों से सीखने में रुचि दिखाई है।