बीजिंग। आतंकवाद पर अमेरिका की पाकिस्तान को लताड़ और सैन्य सहायता रोकने के फैसले के खिलाफ चीन अब अपने दोस्त का साथ देने के लिए खड़ा हुआ है। चीन ने आतंकवाद के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराए जाने का विरोध किया है। कहा है कि पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा करते समय उसके आतंकवाद के खिलाफ किए कार्यों को ध्यान में नहीं रखा गया।
चीन का यह बयान आतंकियों को पनाह देने के मामले में पाकिस्तान पर बढ़े अंतरराष्ट्रीय दबाव को कम करने का प्रयास माना जा रहा है।अमेरिका ने हाल ही में पाकिस्तान को दी जाने वाली करीब दो अरब डॉलर (करीब 13 हजार करोड़ रुपए) की सैन्य सहायता रोकी है। यह कदम उसने अफगानिस्तान में सक्रिय तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों को खत्म करने में पाकिस्तान के नाकाम रहने पर उठाया है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ल्यू कांग ने कहा, आतंकवाद की समस्या से किसी देश को जोड़े जाने का चीन विरोध करता है। वह आतंकवाद निरोधी अभियान के लिए किसी एक देश को जिम्मेदार बनाए जाने का भी विरोध करता है।
प्रवक्ता ने यह बात अमेरिकी प्रशासन के एक अधिकारी के एक बयान के जवाब में कही। इस बयान में कहा गया था कि पाकिस्तान को आतंकी पनाहगाहों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बाध्य करने में चीन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
कांग ने कहा, “चीन कई बार कह चुका है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ छिड़े अंतरराष्ट्रीय अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और काफी बलिदान दिए हैं। आतंकवाद निरोधी अभियान को आपसी तालमेल और परस्पर सम्मान की भावना से मजबूती मिल सकती है, न कि किसी देश पर अंगुली उठाकर उसे आरोपी बनाकर। किसी खास देश पर अंगुली उठाना आतंकवाद निरोधी अभियान के लिए अच्छा नहीं है।
उल्लेखनीय है कि नए साल में अपने पहले ट्वीट में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आतंकवाद के समर्थन के लिए पाकिस्तान की कड़ी फटकार लगाई। उसी के बाद पाकिस्तान की सैन्य सहायता रोक दी गई।