तंबाकू उत्पादों पर 85 फीसद सचित्र चेतावनी रद करने के आदेश पर रोक

asiakhabar.com | January 9, 2018 | 4:08 pm IST
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नई दिल्ली। तंबाकू उत्पादों के पैकेट पर फिलहाल 85 फीसद सचित्र चेतावनी छपती रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने तंबाकू उत्पादों पर 85 फीसद सचित्र चेतावनी छापने के आदेश को रद्द करने के कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर सोमवार को अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि व्यवसाय से ज्यादा महत्वपूर्ण लोगों की सेहत है।

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने तंबाकू उत्पादों के पैकटों पर 85 फीसद सचित्र चेतावनी छापने के केंद्र सरकार के आदेश को गत 15 दिसंबर को खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि इस आदेश को रद्द करने से सचित्र चेतावनी के बारे में सरकार का पुराना आदेश स्वतः लागू हो जाएगा, जिसमें 40 फीसद सचित्र चेतावनी छापने की बात कही गई है। उच्च न्यायालय के इस आदेश को गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) “हेल्थ फार मिलियंस” और केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने केंद्र और एनजीओ की याचिकाओं पर नोटिस भी जारी किया है। कोर्ट इस मामले में 12 मार्च को फिर सुनवाई करेगा। इस बीच हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी गई है।

इससे पहले सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने हाई कोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए कहा कि तंबाकू उत्पादों पर सचित्र चेतावनी छापना लोगों की सेहत से जुड़ा मुद्दा है। भारत में लोग अमेरिका की तरह पढ़े-लिखे नहीं हैं। यहां लोगों को तंबाकू से होने वाले नुकसान के प्रति सचेत करना जरूरी है। बकौल वेणुगोपाल, तंबाकू कैंसर आदि कितनी ही बीमारियों की जड़ है। सरकार ने विशेषज्ञों से मशविरे के बाद काफी सोच-समझकर तंबाकू उत्पादों के पैकटों पर 85 फीसद सचित्र चेतावनी छापने का आदेश जारी किया था।

उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने इन सब पहलुओं पर ध्यान दिए बगैर सरकारी आदेश को रद कर दिया। हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगनी चाहिए। जबकि दूसरी ओर तंबाकू उत्पादकों की ओर से पेश वकीलों ने व्यापार के अधिकार की दुहाई देते हुए हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का विरोध किया। कपिल सिब्बल ने कहा कि नियम के मुताबिक सरकार के सचित्र चेतावनी संबंधी आदेश का हर दो साल पर रिव्यू होना है। दो साल की अवधि 31 मार्च को खत्म हो रही है। ऐसे में कोर्ट को फिलहाल कोई रोक लगाने संबंधी आदेश नहीं देना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि संसदीय समिति की रिपोर्ट आई है, उसमें 40 फीसद की जगह 50 फीसद सचित्र चेतावनी छापने की सिफारिश की गई है। उसे ही लागू कर दिया जाए। वह इस पर राजी हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सेहत को प्राथमिकता देते हुए हाई कोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दिया।


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