नोएडा। यूपी के मुख्यमंत्री योगी अादित्यनाथ जहां नोएडा में आकर कुर्सी गंवाने का अंधविश्वास तोड़ने के 20 दिन के भीतर दोबारा आ रहे हैं, वहीं सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने उनको लेकर तंज कसा है।
सीएम योगी के नोएडा दौरे पर तंज कसते हुए अखिलेश ने कहा है कि कभी-कभी भगवान भी अच्छा काम करता है। उनका इशारा 25 दिसंबर को नोएडा में मेट्रो उद्घाटन को लेकर था, जिसमें पीएम मोदी के साथ सीएम योगी भी पहुंचे थे। इसका उद्घाटन पीएम मोदी ने बटन दबाकर किया था।
इस पर अखिलेश यादव ने कहा है कि हमें नोएडा मेट्रो के उद्घाटन में नहीं बुलाया गया, लेकिन सीएम साहब नोएडा गए तो लेकिन हमने तस्वीर में देखा कि न वो बटन दबा सके और न ही मेट्रो को झंडी दिखा पाए। हम तो यही कहेंगे कि नोएडा जाने पर यही होता है, और अभी नोएडा का असर दिखना है।
इतना ही नहीं, यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा कि नोएडा जाने के बाद असर दिखता है और ये अच्छा हुआ कि दोनों लोग नोएडा चले गए, अब इसका असर दिखेगा।
जानें कौन-कौन हुआ इस मिथक का शिकार –
विश्वनाथ प्रताप सिंह –
1982 में तत्कालीन यूपी के सीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह नोएडा में वीवी गिरी श्रम संस्थान का उद्घाटन करने आए थे। उसके बाद वह मुख्यमंत्री पद से हट गए। हालांकि, यह अलग बात है कि वे बाद में देश के प्रधानमंत्री भी बने।
वीर बहादुर सिंह –
बात 1988 की है। इस साल यूपी के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह फिल्म सिटी स्थित एक स्टूडियो में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने आए। वहां से उन्होंने कालिंदी कुंज पार्क का भी उद्घाटन किया था। कुछ माह बाद ही उन्हें झटका लगा। वह मुख्यमंत्री पद से हट गए।
नारायण दत्त तिवारी –
वीर बहादुर सिंह के बाद नारायण दत्त तिवारी यूपी के मुख्यमंत्री बने। वह भी नोएडा के सेक्टर 12 स्थित नेहरू पार्क का उद्घाटन करने वर्ष 1989 में आए थे। उसके कुछ समय बाद उऩकी भी मुख्यमंत्री पद सकी कुर्सी जाती रही।
मुलायम सिंह यादव –
वर्ष 1994 में नोएडा के सेक्टर 40 स्थित खेतान पब्लिक स्कूल का उद्घाटन करने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव आए थे। हैरानी की बात है कि मुलायम सिंह यादव ने मंच से कहा भी था कि मैं इस मिथक को तोड़ कर जाऊंगा कि जो मुख्यमंत्री नोएडा आता है उसकी कुर्सी चली जाती है। उसका कथन उल्टा साबित हुआ और उसके कुछ माह बाद ही वह मुख्यमंत्री पद से हट गए। इसका असर भी रहा और इसके बाद 6 सालों तक कोई नोएडा आया ही नहीं।
मायावती –
मुलायम के बाद नोएडा का मिथक तोड़ने का साहस मायावती ने जरूर दिखाया। यह अलग बात है कि वह मुख्यमंत्री रहने के दौरान चार बार नोएडा गईं और हर बार उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी। इसी कड़ी में 2011 में भी मायावती नोएडा आईं थी, लेकिन 2012 के चुनाव में उनकी सत्ता छिन गई।
अखिलेश यादव –
मुलायम सिंह और मायावती की तुलना में अखिलेश यादव ने साहस जुटाना तो दूर उन्होंने बतौर सीएम नोएडा की योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन लखनऊ से किया। हद तो तब हो गई जब राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नोएडा जाने पर उनकी अगवानी के लिए खुद न जाकर उन्होंने मंत्री भेजे।