विकल्पों की तलाश

asiakhabar.com | December 30, 2017 | 5:53 pm IST
View Details

ज दरें बदल रही हैं। बैकिंग बदल रही है। आम आदमी की समझ में सब कुछ नहीं आ रहा है। नासमझी या कम समझी के चलते उसकी जेब पर चपत लग रही है। अभी ही लघु बचत की ब्याज दरों में दशमलव 20 की कमी की गयी यानी पब्लिक प्रॉवीडेंट फंड पर जो ब्याज सालाना 7.8 प्रतिशत था, अब घटकर 7.6 प्रतिशत रह जायेगा। किसान विकास पत्र पर ब्याज 7.5 प्रतिशत था, यह घटकर सालाना 7.3 प्रतिशत रह जायेगा। नेशनल सेविंग्स र्सटििफकेट पर जो ब्याज दर 7.8 प्रतिशत थी, वह घटकर 7.6 प्रतिशत हो जायेगी। यानी आम आदमी ब्याज से कम कमा पायेगा। पर आफतें सिर्फ इतनी नहीं हैं। बैंक उपभोक्ताओं से तरह-तरह से वसूली करते हैं। देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अनुमान के मुताबिक 2017-18 के दौरान करीब 2000 करोड़ रु पये दंड के वसूले जायेंगे इस बैंक के उन ग्राहकों से, जिनके खातों में बैलेंस न्यूनतम बैलेंस से नीचे चला जाता है।ब्याज दरों के लगातार कम होने के ही आसार हैं, क्योंकि ब्याज दरों का ताल्लुक होता है महंगाई से। महंगाई की दर अगर लगातार बढ़ती है तो ब्याज दरों का बढ़ना बनता है। इसका सामान्य-सा अर्थशास्त्र यह है कि अगर किसी ने किसी को सौ रु पये उधार दिये हैं। दिसम्बर 2017 में और उसकी वापसी अगले साल यानी दिसम्बर 2018 में होनी है, तो जाहिर है दिसम्बर 2018 में सौ रु पये की वैल्यू वह न रह जायेगी जो दिसम्बर 2017 में थी। यानी दिसम्बर 2017 में जो चीजें 100 रु पये की आयेंगी, एक साल बाद वे ही चीजें खरीदने के लिए 105 रु पये या ज्यादा चाहिए होंगे, ये पांच रु पये जो बढ़ते हैं, यह महंगाई दर होती है। तो सौ रु पये लेकर अगर कोई 105 वापस दे रहा है, तो महंगाई दर के चलते कुछ वापस हो नहीं पा रहा है। पांच रु पये से ऊपर जो दिया जायेगा, वही वास्तविक रिटर्न होगा। यानी अगर ब्याज दर सात प्रतिशत हो आठ प्रतिशत तब जाकर कुछ रिटर्न मिलेगा। नवम्बर 2017 में उपभोक्ता महंगाई सूचकांक 4.88 प्रतिशत रही है, ऐसी सूरत में नेशनल सेविंग र्सटििफकेट की ब्याज दर 7.6 प्रतिशत है। अगर महंगाई दर और गिरी तो ब्याज दर और गिरेगी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया महंगाई पर नियंतण्रके लिए प्रतिबद्ध दिखायी देता है, ऐसी सूरत में वह पुराना दौर लौटकर न आयेगा, जिसमें महंगाई दर 12 प्रतिशत होती थी और ब्याज दर 19 प्रतिशत तक जाती थी। अब जरूरी है निवेशक रिटर्न के दूसरे रास्तों को देखें। मुचुअल फंड वगैरह में निवेश को देखें या दीर्घावधि में औसत रिटर्न 12 प्रतिशत से 20 प्रतिशत सालाना तक रहता है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *