दहशतगर्दी के विरोध में पूरा कश्मीर बंद सफ़ल-पहलगाम वासी सड़कों पर उतरे, विरोध प्रदर्शन किया-मस्जिदों के लाउडस्पीकरों में बंद में शामिल होने की अपीलें

asiakhabar.com | April 24, 2025 | 5:04 pm IST

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर आतंकवाद आज हर देश के लिए सर दर्द बना हुआ है, परंतु इसका स्थाई समाधान दशकों से नहीं निकल पा रहा है। यही समस्या भारत के लिए भी दशकों से बनी हुई है,परंतु अगर मजबूत इरादे हो व संकल्पों को क्रियान्वयन करने का हौसला हो तो कुछ असंभव नहीं है, इसी फार्मूले पर चलकर भारत ने नक्सलवाद माओवाद को 31 मार्च 2026 तक जड़ से समाप्त करने की डेड लाइन दी है, इस क्रिया से रिएक्शन ऐसा हो रहा है कि लाखों रुपए के इनामी खूंखार नक्सली सरेंडर कर रहे हैं या फिर मुठभेड़ में मारे जा रहे हैं क्योंकि स्थानीय लोगों का साथ शासन प्रशासन को मिल रहा है। यह चर्चा आज हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि 22 अप्रैल 2025 को जो पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकवादियों द्वारा हमला कर 27 सैलानियों को गोलियां चलाकर मार डाला गया है, यह घटना कश्मीर वासियों खासकर पहलगाम वासियों को नागवार गुजरी है और 35 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है कि इस घटना के विरोध में करीब करीब सभी पक्षों, संगठनों, कश्मीरीयों लोकल निवासियों द्वारा 23 अप्रैल 2025 को बंद का आह्वान किया गया था यहां तक कि मस्जिदों के लाउडस्पीकर से भी बार-बार बंद में शामिल होने की गुजारिश है की जा रही थी, ऐसा प्रोटेस्ट का माहौल मैंने अपने 40 वर्षों के आर्टिकल लेखन द्वारा मीडिया से जुड़े अपने करियर में कभी नहीं देखा। कश्मीर घाटी में हमले तो आनेकों हुए हैं परंतु उस क्षेत्र के लोकल निवासियों का ऐसा प्रोटेस्ट मैंने कभी नहीं देखा। कश्मीर लालचौक निवासी प्रसिद्ध प्रिंट व डिजिटल मीडिया सीएनएन के चीफ एडिटर व मेरे परम मित्र राशिद भाई जो प्रिंट इलेक्ट्रानिक मीडिया का अच्छा अनुभव भी रखते हैं उनसे मैंने मोबाइल फोन पर बातचीत कर इस घटना के संबंध में जानकारी मांगी तो उन्होंने मुझे अनेकों वीडियो क्लिप भेजी जिसमें पहलगाम के लोकल निवासी इस घटना के विरोध में जोर-शोर से प्रोटेस्ट कर रहे हैं उन किल्पों में हम हिंदुस्तानी हैं, हिंदुस्तान हमारा है व इंडियन आर्मी जिंदाबाद इत्यादि अनेकों नारे आसानी से सुनें जा सकते हैं। राशिद भाई ने बताया कि यहां इस घटना से नागरिकों में काफी रोष भरा है, क्योंकि उनका रोजगार सैलानियों से जुड़ा है, इस तरह वहां के सीएम तथाविपक्षी नेताओं ने भी इस बारे में सरकार को पूरा सहयोग देने व घटना का जोरदार विरोध किया है व अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की बात कही है,तो उधर केंद्र स्तर पर भी पूरे विपक्ष ने एकजुट होकर इस घटना की जोरदार भर्टस्ना की है, व दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की बात कही है। मेरा मानना है कि अगर पूरे कश्मीर के निवासी, भारत सरकार, इंडियन आर्मी व दुनियाँ के सभी देश एक साथ हो जाएं तो आतंकवाद बच नहीं सकता,उसका भी डेडलाइन नक्सलवाद समाप्ति की तरह 31 मार्च 2026 निर्धारित किया जा सकता है। चूँकि दहशतगर्दी के विरोध में पूरा कश्मीर बंद सफ़ल हुआ पहलगाम वासी सड़कों पर उतरे तथा विरोध प्रदर्शन किया, मस्जिदों से भी लाउडस्पीकरों से बंद में शामिल होने की अपील की गई तथा 35 वर्षों में पहली बार कश्मीर भी आतंकवाद के खिलाफ रोड पर उतरा व इंडियन आर्मी जिंदाबाद,हम हिंदुस्तानी है हिंदुस्तान हमारा है,के नारे लगे इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, कश्मीर वासियों का साथ, पूरी दुनियाँ का हाथ, भारत कीएक्शन पर तुरंत रिएक्शन की रणनीति लगातार चली तो, नक्सलवाद की तरह आतंकवाद पर भी डेड लाइन 31 मार्च 2026 घोषित होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
साथियों बात अगर हम 35 वर्षों में पहली बार कश्मीर वासियों का आतंकवाद के खिलाफ़ रोडपर उतरने प्रोत्सट करने की करें तो, श्रीनगर से दिल्ली तक हलचल के बीच कश्मीर घाटी भी इस आतंकी वारदात के खिलाफ खड़ी नजर आ रही है, इस जघन्य आतंकी वारदात के खिलाफ पहलगाम समेत कश्मीर के कई इलाकों में लोग प्रदर्शन करते नजर आए।ऐसा पहली बार है, जब कश्मीर के लोग आतंकियों के खिला खुलकर बोल रहे हैं, सत्ताधारी और विपक्षी, सभी दल इस वारदात के विरोध में एकजुट हो गए हैं तो वहीं हुर्रियत कॉन्फ्रेंस जैसा संगठन भी घाटी बंद का आह्वान कर रहा है। एक प्रमुख अंग्रेजी समाचार पत्र ने पहले पन्ने पर संपादकीय टिप्पणी में लिखा है कि यह जघन्य वारदात न सिर्फ निर्दोष लोगों पर हमला है,बल्कि कश्मीरकी पहचानऔर मूल्य,इसकेआतिथ्य,अर्थव्यवस्था और शांति पर किया गया प्रहार भी है। कश्मीर की आत्मा इस क्रूरता की निंदा करती है और पीड़ितों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करती है। (1) आतंकी घटना के खिलाफ बंद-पहलगाम हमले के खिलाफ घाटी बंद के आह्वान को आम जनता के साथ ही अलग-अलग राजनीतिक दलों, धार्मिक और व्यापारिक संगठनों और यहां तक कि अलगाववादी छवि वाले नेताओं ने भी समर्थन दिया है, सत्ताधारी नेशनल कॉन्फ्रेंस, विपक्षी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), पीपु्ल्स पार्टी, अपनी पार्टी समेत घाटी की सियासत में मजबूत मौजूदगी रखने वाली पार्टियों ने घाटी बंद का समर्थन किया है। घाटी बंद के आह्वान को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और इसके अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक का भी समर्थन मिला है।(2) उलेमा संगठन और हुर्रियत भी बंद के साथ धार्मिक निकायों के संगठन मुत्ताहिदा मजलिस उलेमा ने भी बंद का समर्थन करते हुए लोगों से आह्वान किया है कि घाटी बंद को सफल बनाकर इस जघन्य वारदात के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराएं। मीरवाइज उमर फारूक ने इस आतंकी वारदात में मारे गए लोगों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा है कि जम्मू कश्मीर की इस्लामी बिरादरी शोक संतप्त परिजनों के साथ है,उन्होंने लोगों से शांतिपूर्ण विरोध का भी आह्वान किया (3) पीड़ितों की मदद के लिए बढ़े हाथ-जम्मू कश्मीर के लोगों ने भी इस घटना के बाद पीड़ितों की मदद के लिए हाथ बढ़ाए। पहलगाम की घटना के बाद टूरिस्ट टैक्सी स्टैंड यूनियन ने देर रात तक स्टैंड खोले रखा जो अमूमन छह से सात बजे तक खुले रखा. टूरिस्ट टैक्सी स्टैंड यूनियन से जुड़े लोग देर रात तक टैक्सी स्टैंड पर जमे रहे, वीडियो जारी करके भी टैक्सी यूनियन ने 24 घंटे मदद के लिए तैयार रहने की बात कही-टैक्सी यूनियन की ओर से ये भी कहा गया कि पर्यटकों को गाड़ियों की जरूरत हो, पैसे की जरूरत हो, अपनों से बात करने के लिए मोबाइल फोन की जरूरत हो, रुकने के इंतजाम की जरूरत हो या घायलों के लिए खून की जरूरत हो, हमसे संपर्क कर सकता है। टैक्सी यूनियन की ओर से इसके लिए नंबर भी जारी किए गए (4)- समाचार पत्रों ने काले रंग में छापे पहले पन्ने कश्मीर घाटी के कई प्रमुख समाचार पत्रों ने अपना पहला पन्ना काले रंग में छापकर पहलगाम की आतंकी घटना के खिलाफ अपना विरोध जाहिर किया. समाचार पत्रों ने काले पन्ने पर शीर्षक के लिए लिए लाल और सफेद रंग का इस्तेमाल किया. ग्रेटर कश्मीर, राइजिंग कश्मीर, कश्मीर उजमा, आफताब, तैमील इरशाद जैसे अंग्रेजी और उर्दू के प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों ने अपने फॉर्मेट में भी बदलाव किया।आतंकी वारदात के खिलाफ पहलगाम से श्रीनगर तक दुकानें और पेट्रोल पंप बंद हैं,अधिकारियों के मुताबिक,पिछले 35 साल में पहली बार किसीआतंकी वारदात के खिलाफ कश्मीर की अवाम ने घाटी बंद का आह्वान किया है,पहलगाम अटैक पर कश्मीर कारिएक्शन इस बार अलग बताया जा रहा है और कुछ बातें पहली बार दिख रही हैं।
साथियों बात अगर हम पहलगाम में बाजरें बंद और प्रोटेस्ट की करें तो, 35 वर्षों में पहली बार आज कश्मीर पूरी तरह से बंद है। मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों से लोगों से बंद में शामिल होने की अपील हो रही है और लोग खुद हमले के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसी आतंकी हमले पर 35 सालों में पहली बार कश्मीर उठ खड़ा हुआ है, एकजुट होकर विरोध कर रहा है। पहलगाम में, बाजार पूरी तरह से बंद हैं,आतंकी हमले में मारे गए 26 निर्दोष लोगों में सैयद आदिल हुसैन शाह भी शामिल है, जो पर्यटकों को घुड़सवारी कराता था और जब उसने हत्यारों का सामना करने की कोशिश की तो उसे गोली मार दी गई। मैं भारतीय हूं के नारे-दुकानदारों और होटल व्यवसायियों ने आज पहलगाम में विरोध मार्च निकाला औरहिंदुस्तान जिंदाबाद और मैं भारतीय हूं के नारे लगाए। उन्होंने कहा कि वे अभी भी वहां फंसे पर्यटकों को हर तरह की सहायता प्रदान करेंगे, जिसमें 15 दिनों के लिए फ्री में रहने की व्यवस्था भी शामिल है। घाटी में आतंकवाद के साथ लंबे संघर्ष के बाद शांति आई थी और पिछले कुछ सालों में पर्यटकों की भीड़ उमड़ रही थी, यह हमला शायद समय को पीछे ले जाएगा।
साथियों बात अगर हम कश्मीर के नेताओं द्वारा हमले की निंदा की करें तो,जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने इस हमले को “घृणास्पद” बताया है. उन्होंने कल हमले की खबर आने के बाद एक्स पर पोस्ट किया,मैं इस बात पर विश्वास नहीं कर सकता, हमारे यहां आए मेहमानों पर हमला एक घृणित घटना है,इस हमलेके अपराधी जानवर, अमानवीय और घृणा के पात्र हैं। निंदा के लिए कोई भी शब्द पर्याप्त नहीं है. मैं मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को लेकर बुधवार को देशवासियों से माफी मांगी। महबूबा के नेतृत्व में पीडीपी नेता एवं कार्यकर्ता श्रीनगर में शेर-ए-कश्मीर पार्क के पास पार्टी मुख्यालय में एकत्र हुए और वहां से विरोध मार्च की शुरुआत की। प्रदर्शन के बाद मीडिया से बातचीत में महबूबा ने कहा,यह हमला सिर्फ मासूम पर्यटकों पर नहीं, बल्कि कश्मीरियत पर भी था. मैं देशवासियों से कहना चाहती हूं कि हम शर्मिंदा हैं. कश्मीरियों का दिल दुखी है और हम दुख की इस घड़ी में आपके साथ खड़े हैं, हम सरकार से मांग करते हैं कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा दी जाए। यह हम पर हमला था, हम इसकी निंदा करते हैं और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. गृह मंत्री यहां हैं और उन्हें इस हमले में शामिल आतंकवादियों का पता लगाना चाहिए, ताकि उन्हें जल्द से जल्द सजा दिलाई जा सके।
साथियों बात अगर हम 23 अप्रैल 2025 को देर शाम समाप्त हुई सुरक्षा कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) द्वारा लिए गए निर्णयों की करें तो पीएम की अध्यक्षता में बुधवार शाम सुरक्षा पर सीसीएस की बैठक हुई। सीसीएस को 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक मारे गए थे। कई अन्य घायल हुए थे। सीसीएस ने हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की आशा व्यक्त की। इस आतंकवादी हमले की गंभीरता को समझते हुए, सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने निम्नलिखित उपायों पर निर्णय लिए गए-(1)1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखा जाएगा, जब तक कि पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को त्याग नहीं देता। (2) एकीकृत चेकपोस्ट अटारी को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा। जो लोग वैध अनुमोदन के साथ सीमा पार कर चुके हैं, वे 1 मई 2025 से पहले उस मार्ग से वापस आ सकते हैं।(3) पाकिस्तानी नागरिकों को (एसएएआरसी) वीजा छूट योजना वीजा के तहत भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पाकिस्तानी नागरिकों को अतीत में जारी किए गए किसी भी एसवीईएस वीजा को रद्द माना जाएगा। एसवीईएस वीजा के तहत भारत में मौजूद किसी भी पाकिस्तानी नागरिक के पास भारत छोड़ने के लिए 48 घंटे हैं। (4) नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया जाता है। उनके पास भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय है। (5) भारत इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से अपने रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को वापस बुलाएगा। संबंधित उच्चायोगों में ये पद निरस्त माने जाएंगे। सेवा सलाहकारों के पांच सहायक कर्मचारियों को भी दोनों उच्चायोगों से वापस बुलाया जाएगा। 1 मई 2025 तक आगे की कटौती के माध्यम से उच्चायोगों की कुल संख्या को वर्तमान 55 से घटाकर 30 कर दिया जाएगा अत: अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि पहलगाम पर्यटक हमला-35 वर्षों में पहली बार कश्मीर भी आतंकवाद के खिलाफ़ रोड पर उतरा- इंडियन आर्मी जिंदाबाद, हम हिंदुस्तानी है हिंदुस्तान हमारा है के नारे लगे।दहशतगर्दी के विरोधमें पूरा कश्मीर बंद सफ़ल-पहलगाम वासीसड़कों पर उतरे, विरोध प्रदर्शन किया-मस्जिदों के लाउड स्पीकरों में बंद में शामिल होने की अपीलें कश्मीरियों का साथ-पूरी दुनियाँ का हाथ-भारत की एक्शन पर तुरंत रिएक्शन की रणनीति लगातार चली तो नक्सलवाद की तरह आतंक वाद पर भी डेड लाइन 31 मार्च 2026 हो सकती है।


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