
संजय एम तराणेकर
हे नारी योगदान तुम्हारा स्वप्रमाणित,
दायित्वों का निर्वाह करती द्विगुणित।
हर कोई ये मानता ‘महिला का हाथ‘,
माँ, पत्नी, बहन-बेटी जब देती साथ।
हरेक परिवार का आधार होती महिला,
सौम्य-शालीन परिपोषिका होती कला।
हे नारी योगदान तुम्हारा स्वप्रमाणित,
दायित्वों का निर्वाह करती द्विगुणित।
बहुमुखी गुणों से अलंकृत करती नारी,
सेवा-सुसृषा में जिन्दगी गुजरती सारी।
चरित्र,शील,दया,शक्ति,चातुर्य व करूणा,
परिवार को एक सूत्र में बांध देती रमणा।
हे नारी योगदान तुम्हारा स्वप्रमाणित,
दायित्वों का निर्वाह करती द्विगुणित।
अपने ‘अस्तित्व‘ की स्व-रक्षा कर रही,
आज पुरूषों के ‘समकक्ष‘ आ खड़ी रही।
नारी सशक्तिकरण हेतू प्रयत्नशील रहें,
सतत कृतज्ञता व सम्मान की धारा बहें।