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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें जग्गी वासुदेव की ईशा फाउंडेशन के खिलाफ तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (टीएनपीसीबी) के नोटिस को रद्द कर दिया गया था।
यह नोटिस वेल्लियांगिरी पर्वतीय क्षेत्र की तलहटी में बिना पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी के भवनों के निर्माण के लिए दिया गया था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि कोयंबटूर के वेल्लियांगिरी पर्वतीय क्षेत्र में निर्मित ईशा फाउंडेशन के योग और ध्यान केंद्र के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
पीठ ने कहा कि योग और ध्यान केंद्र सभी पर्यावरणीय मानदंडों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों का पालन करेगा।
पीठ ने कहा कि योग और ध्यान केंद्र के विस्तार के मामले में सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति ली जाएगी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि यह आदेश अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए मिसाल नहीं बनाएगा और यह मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर पारित किया गया है।
उच्च न्यायालय ने 14 दिसंबर, 2022 को यह माना था कि कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन द्वारा स्थापित केंद्र शिक्षा श्रेणी में आएगा और टीएनपीसीबी के नोटिस को खारिज कर दिया था।
उच्च न्यायालय ने 19 नवंबर, 2021 के नोटिस को रद्द कर दिया और ईशा फाउंडेशन की याचिका को स्वीकार कर लिया।
यह कारण बताओ नोटिस पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी के बिना वेल्लियांगिरी की तलहटी में इमारतों के निर्माण को लेकर था।