लापता IAS अधिकारी का शव रेलवे ट्रैक के पास मिला, पत्नी ने किया शिनाख्त से इंकार

asiakhabar.com | December 15, 2017 | 5:41 pm IST
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नई दिल्ली। मॉर्निंग वॉक पर निकले आईएएस अधिकारी सोमवार को लापता हो गए थे और अब उनका कई टुकड़ों में कटा हुआ शव रेलवे ट्रैक के पास मिला है। रेलवे ट्रैक पर पहले गर्दन मिली और उससे एक किलोमीटर दूर बाकी धड़ मिला।

सिर कटी लाश मिलने के बाद पुलिस ने जांच-पड़ताल की, तो पचा चला कि यह लाश इंडियन सिविल अकाउंट्स सर्विस (आईसीएएस) के सीनियर अधिकारी जितेंद्र झा की है। पुलिस के मुताबिक शव के पास से सुसाइड नोट भी मिला है। वह बिहार के सुपौल के रहने वाले थे।

हालांकि, परिवार का कहना है कि यह जितेंद्र का शव नहीं है। पुलिस ने अभी तक उनको सुसाइड नोट के बारे में नहीं बताया था। उधर, पुलिस का दावा है कि शुरुआती जांच में यह खुदकुशी का मामला नजर आ रहा है।

झा एचआरडी मंत्रालय में तैनात थे और इन दिनों इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन से ट्रेनिंग भी कर रहे थे। बताते चलें कि वह सोमवार को मॉर्निंग वॉक पर निकले थे और इसके बाद घर वापस नहीं लौटे। उनका फोन भी घर पर ही रखा था।

झा की पत्नी भावना ने बताया की काफी तलाश के बाद भी नहीं मिलने पर रात में द्वारका थाने में झा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पुलिस का कहना है कि उनकी पत्नी द्वारा गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराए जाने के बाद पुलिस उनकी तलाश में लगातार छापेमारी और इलाके के सीसीटीवी कैमरों की तलाश कर रही थी।

झा का शव दिल्ली पुलिस ने दिल्ली कैंट रेलवे स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक से बरामद किया है। शव के पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद किया गया है। इसमें मृतक ने लिखा है कि वह अपनी मर्जी से सुसाइड कर रहा है। शव मिलने के बाद शिनाख्त करने आई उनकी पत्नी और भाई ने लाश को पहचानने से इंकार कर दिया।

भावना के मुताबिक, जितेंद्र काफी समय से परेशान चल रहे थे। हर 5-6 महीने में उनका ट्रांसफर कर दिया जाता था। इससे पहले वे सूचना और प्रसारण मंत्रालय में थे। बाद में उनका ट्रांसफर एचआरडी मंत्रलाय में कर दिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि इस दौरान उनकी काफी लोगों से दुश्मनी भी हो गई थी।

लाश मिलने के बाद पुलिस हत्या या आत्महत्या के हर एंगल से मामले की जांच कर रही है। पत्नी भावना का कहना है कि वो आत्महत्या नहीं कर सकते हैं क्योंकि वो काफी ताकतवर और ईमानदार थे। इसी वजह से उनका ट्रांसफर हर 5-6 महीने में कर दिया जाता था। जिस मिनिस्ट्री में जितेंद्र जाते थे वहां के सीनियर अफसर और उससे जुड़े नेता भी डरते थे। इसीलिए उनका ट्रांसफर एचआरडी मिनिस्ट्री से कर दिया गया था। जिसके कारण वो डिप्रेशन में आ गए थे।

दूसरी तरफ उनकी आत्महत्या की खबर सुनते ही उनके गृह जिला बिहार के सुपौल में भी मातम है। उनकी हत्या की खबर मिलते ही उनके बूढ़े मां-बाप रोने लगे। देखते ही देखते उनके पैतृक आवास पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। सभी ने कहा कि ऐसा इमानदार और मेहनती अधिकारी बहुत कम देखने को मिलता है, आखिर उसने आत्महत्या क्यों किया इसकी जांच होनी चाहिए।


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