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संजय एम तराणेकर
आदिवासी समाज की आराध्य माता भक्त,
शिरोमणि माँ शबरी तपस्या कर हुई व्यक्त।
भीलनी परम तपस्विनी का एक ही ध्येय,
अछूत कहते ऋषि-मुनि दूरी रखते जाय।
ऋषि मतंग ये कह गए आएंगे प्रभु श्रीराम,
तुम्हें संसार से मुक्त कर लगाएंगे विराम।
आदिवासी समाज की आराध्य माता भक्त,
शिरोमणि माँ शबरी तपस्या कर हुई व्यक्त।
सामाजिक समरसता की प्रतीक हुई प्रतीत,
तपस्या हुई फलित कुटिया में मन ललित।
भगवान की भक्ति में सदा ही रहती लीन,
प्रतिक्षा करती थी जिसकी आने वाला दिन।
आदिवासी समाज की आराध्य माता भक्त,
शिरोमणि माँ शबरी तपस्या कर हुई व्यक्त।
मर्यादा पुरूषोत्तम को हुआ जब वनवास,
वन में भटक-भटक भये हुआ था संत्रास।
शबरी की कुटिया में हुआ सुखद अहसांस,
जूठे बेर का मीठा स्वाद भी हुआ है खास।
शबरी माता की जयंती रामायण आभास।