राजनीति का एक ही रंग

asiakhabar.com | November 13, 2024 | 4:54 pm IST

संजय एम. तराणेकर
राजनीति का एक अलग ही रंग हैं,
देश के सभी नेता करते व्यंग्य हैं।
कोई नल की टोटी ले जा रहा हैं,
तो कोई लेकर जा रहा हैं कमोट!
टीवी चैनल वाले भी करते प्रमोट।
राजनीति का एक अलग ही रंग हैं,
देश के सभी नेता करते व्यंग्य हैं।
पशुपति पारस नहीं जा रहें बनारस,
राजनीति में नहीं रहा उनका रस!
न रहें मंत्री, न रहा पद रहें तरस।
राजनीति का एक अलग ही रंग हैं,
देश के सभी नेता करते व्यंग्य हैं।
भतीजे को चढ़ा एन डी ए का रंग,
ये चाचा अब हो गए सत्ता से बेरंग!
अब सोच रहें जाऊ मैं किसके संग।
राजनीति का एक अलग ही रंग हैं,
देश के सभी नेता करते व्यंग्य हैं।
अब न तो पार्टी बची ना कार्यालय,
सब सारथी जाने कहाँ किधर गए!
ये तो महाबली हैं छत ही उड़ा गए।


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