आध्यात्मिकता और सामुदायिक जुड़ाव के लक्ष्य के साथ प्रतिष्ठित योगी आचार्य अद्वैत योगभूषण ने एक तीर्थयात्रा की शुरूआत की है। इस तीर्थयात्रा का उद्देश्य देश भर के समुदायों में योग और समग्र कल्याण के शाश्वत ज्ञान को बांटते हुए अपनी आध्यात्मिक यात्रा को और ज्यादा समृद्ध करना है। उन्होंने पूरे भारत में 13,000 किलोमीटर की असाधारण अद्वैत यात्रा शुरूआत की है। इस यात्रा का उद्देश्य उनके सामने आने वाली हर आत्मा में ॐ (ओम) की पवित्र ध्वनि को जागृत करना है। योगी आचार्य अद्वैत का जन्म एक पूर्व सेना अधिकारी के घर पर हुआ था। अपने जीवन के शुरुआती दिनों में ही पिता का साया सिर से उठने के बाद उनकी माँ ने अकेले उनका पालन – पोषण किया। बचपन में आचार्य जी को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा। एक गंभीर दुर्घटना में चोट लगने के बाद वह अध्यात्म की ओर आकृष्ट हुए। शारीरिक चोट की वजह से उनकी साधना के प्रति प्रतिबद्धता और गहरी हो गई।
अद्वैत यात्रा 3 सितंबर 2024 को ऋषिकेश के वीरभद्र मंदिर से शुरू हुई और यह यात्रा मध्य प्रदेश में महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर से शुरू होकर योगी अद्वैत को 12 ज्योतिर्लिंगों तक जाएगी। इसके बाद वह गुजरात में दारुकावने नागेश्वर और सोमनाथ जाएंगे। इसके बाद वह महाराष्ट्र में घुश्मेश्वर, त्रयंबकेश्वर और भीमाशंकर का दौरा करेंगे।
उनकी यात्रा तमिलनाडु के रामेश्वरम, आंध्र प्रदेश के मल्लिकार्जुन तक जाएगी और झारखंड के बैद्यनाथ, उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ और हिमालय में राजसी केदारनाथ पर समाप्त होगी। योगी अद्वैत योग भूषण जी की 12 ज्योतिर्लिंग यात्रा एक आध्यात्मिक यात्रा है जो ऋषिकेश के वीरभद्र मंदिर से शुरू होती है, जिसमें पूरे भारत के महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंगों का दर्शन किया जाता है। यह यात्रा पवित्र स्थलों और उनसे जुड़ी समृद्ध आध्यात्मिक परंपराओं के साथ गहरे संबंध को दर्शाती है।
योगी अद्वैत जी अपनी पवित्र तीर्थयात्रा पर पूरे भारत में घूमते हुए मंदिरों, स्कूलों और गांवों का दौरा कर रहे हैं, और ओंकार का संदेश तथा अद्वैत के महत्व का प्रचार कर रहे हैं। उन्हें बच्चों को पढ़ाने, स्कूलों में जाकर उन्हें योग की शक्ति, माइंडफुलनेस और प्रकृति से जुड़ाव से परिचित कराने का विशेष शौक है। मंदिरों में उनके सत्रों में बहुत बड़ी भीड़ उमड़ती है। इन सत्रों में वह क्षमा, निर्भयता के महत्व और हमारे मन में एक ही जीवन की घटनाओं को दोहराने से रोकने के लिए नकारात्मक ऊर्जा को छोड़ने की आवश्यकता के बारे में बात करते हैं ताकि आंतरिक अशांति से छुटकारा मिले।
इस पवित्र यात्रा में 12 ज्योतिर्लिंग का दर्शन किया जायेगा। ये ज्योतिर्लिंग वे पूजनीय मंदिर है जहाँ भगवान शिव को प्रकाश के स्तंभ के रूप में प्रकट हुआ माना जाता है। योगी अद्वैत इन ज्योतिर्लिंग को मात्र पूजा करने का दिव्य स्थान नही मानते हैं बल्कि ये पवित्र स्थान उनके लिए ज्ञान और उच्च चेतना की ओर उनके मार्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके साथ यात्रा करने वाले एक समर्पित शिष्य ने कहा, “अद्वैत दर्शन में एकजुट भारत के लिए योगी जी के दृष्टिकोण के अनुरूप यह यात्रा स्थानीय सरकारों को इस परिवर्तनकारी यात्रा में भाग लेने और लाभ उठाने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है।” हाल ही में एक नदी के किनारे के गाँव में रुकने के दौरान योगी अद्वैत ने राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ियों और स्थानीय ग्रामीणों के लिए एक बरगद के पेड़ की छाया में एक योग सत्र का आयोजन किया। उनकी सरल लेकिन मूल्यवान जानकारी ने युवा और बूढ़े सभी लोगों को प्रेरित किया। योग के दौरान सभी आसन कर रहे थे और एक साथ मंत्रोच्चार कर रहे थे।
पदयात्रा के दौरान रास्ते में आध्यात्मिक शिविर भी आयोजित किया जा रहा है। इस शिविर में समाज के विभिन्न वर्गों- छात्रों और एथलीटों से लेकर शहरी निवासियों और ग्रामीणो तक पर भी ध्यान दिया जा रहा है। उनके सत्र में हिस्सा लेने वाले एक ग्रामीण ने कहा, “योगी अद्वैत जी अपने साथ जो ऊर्जा लेकर आते है, वह कुछ ऐसी है जिसे हमने पहले कभी अनुभव नहीं किया है। अपनी शारीरिक चोटों के बावजूद वह शक्ति और शांति प्रदान करते है। वह हमें ॐ की ध्वनि से जुड़ने का महत्व समझाते है।”
आचार्य अद्वैत योगभूषण इस तीर्थयात्रा के प्रभाव को बढ़ाने के लिए सरकारी अधिकारियों और यहां तक कि प्रधानमंत्री से भी संपर्क कर रहे हैं। उनका लक्ष्य लाखों लोगों को योग और आध्यात्मिकता के मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है, ताकि पूरे देश में एकता, शांति और समग्र कल्याण का संदेश फैल सके।