एक उम्दा कलाकार के रूप में अपनी पहचान रखने वाले पीयूष मिश्रा एक हरफ़नमौला किस्म की शख़्सियत हैं जिनके हुनर का कोई सानी नहीं है. वो ऐसे लेखक, गीतकार, संगीतकार और अदाकार हैं जो उम्र और कला संबंधी किसी भी तरह की बंदिशों को नहीं मानते हैं. ऐसे में पीयूष मिश्रा ने अपने बैंड बल्लिमारन के साथ एक अंतर्राष्ट्रीय टूअर ‘उड़नखटोला’ का ऐलान एक स्पेशल कर्टन रेंज़र इवेंट के ज़रिए किया. इस विशेष कार्यक्रम का आयोजन सोमवार को नई दिल्ली के बीकानेर हाउस में किया गया था.
उल्लेखनीय है कि पीयूष मिश्रा और उनका बैंड बल्लिमारन एक विशेष ‘उड़नखटोला’ टूअर बस में सवार होकर वेन्यू पर पहुंचे थे. यह बस औचक रूप से संगीत प्रस्तुतियां करने, गहन विचार-विमर्श करने और टूअर से संबंधी बैंड के संगीतमय सफ़र से जुड़े किस्सों को सुनाने का एक बढ़िया ज़रिया है. इसके बाद दिग्गज कलाकार के रूप में पीयूष मिश्रा के साथ एक विचारोत्तक वार्ता का आयोजन किया गया जिसमें उन्होंने अपने दिल की बात बयां करते हुए अपनी कला, अपनी लोकप्रियता और अपने करियर के बारे में विस्तार से बातचीत की.
अपने संगीत के ज़रिए पुरानी पीढ़ी के साथ-साथ आज की युवा पीढ़ी का दिल जीतने वाले पीयूष मिश्रा ने कहा कि 62 साल की उम्र में एक रॉकस्टार के रूप में मशहूर होना कोई आम बात नहीं है. वे कहते हैं, “मुझ जैसे 62 साल के शख़्स को लोग रॉकस्टार बुलाते हैं लेकिन अगर मैं ईमानदारी के साथ कहूं तो मैं सिर्फ़ काम और रचनात्मकता चीज़ें करना चाहता हूं. इस दुनिया का मुझ पर जो क़र्ज़ हैं, मैं अपने काम के ज़रिए उस क़र्ज़ को उतारने की ख़्वाहिश रखता हूं. मैं कामयाबी के फेर में नहीं पड़ना चाहता हूं. मैं इस उम्र में अपना डेब्यू एलबम लॉन्च करने जा रहा हूं और साथ ही इस अंतर्राष्ट्रीय टूअर का हिस्सा हूं जो काम के प्रति मेरी मेहनत और लगन को दर्शाता है.”
वे कहते हैं, “मैं परफॉर्म करने के दौरान देख सकता हूं कि दर्शक दीर्घा में बड़ी तादाद में युवा पीढ़ी के लोग मुझे सुनने आ रहे हैं. मैं इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ़ था कि मैं अपने अभिनय और अपनी कविताओं के माध्यम से युवा पीढ़ी के लिए विरासत में कुछ छोड़कर जा रहा हूं. मगर मेरी गायिकी के लिए जो प्रतिसाद मुझे मिल रहा है उससे अब मुझे इस बात का पूरा यकीन हो गया है कि वो मेरी गायिकी को भी ख़ूब पसंद कर रहे हैं. मैं बता नहीं सकता कि इस बात से मैं किस क़दर ख़ुश हूं.”
देश भर में बेहद लोकप्रिय यह बैंड नवंबर में अपने ‘उड़नखटोला’ टूअर की शुरुआत करने जा रहा है जिसके ज़रिए बैंड अपनी अद्भुत संगीतमयी प्रस्तुतियों को देश के विभिन्न शहरों में ले जाएंगे. इसके बाद यह बैंड कनाडा, अमेरिका और यूके जैसे देशों में भी परफॉर्म करेगा. उल्लेखनीय है कि इस टूअर के अंत में पीयूष मिश्रा ‘उड़नखटोला’ नाम से ही अपने डेब्यू एलबम को भी लॉन्च करेंगे.
इस टूअर के क्यूरेटर और तम्बू एंटरटेनमेंट के संस्थापक व सीईओ राहुल गांधी का कहना है कि बल्लिमारन बैंड की सोच के पीछे हमेशा से दर्शकों के सामने कुछ अलग और अनूठे तरह के अनुभवों पेश करना रहा है.
राहुल गांधी ने कहा, “इस टूअर का नाम अपने आप में पीयूष मिश्रा और उनकी उत्कृष्ट सोच के प्रति आदर और श्रद्धांजलि का भाव दर्शाता है. उनके पास एक ऐसा मष्तिष्क है जो फ़्लाइंग मशीन की तरह उड़ता रहता है और ज़िंदगी की वास्तविकता को नायाब तरीके से लोगों के सामने पेश करता है. वे हमेशा से कुछ नया करने के लिए आतुर दिखाई देते हैं और अपनी कला के साथ नये-नये प्रयोग करने से भी नहीं कतराते हैं. यह टूअर उनकी इन्हीं विशिष्टताऒं, उनकी अद्भुत कला और अविस्मरणीय यादों का अक्स प्रस्तुत करता है.”
उल्लेखनीय है कि ‘उड़नखटोला’ टूअर के माध्यम से देश भर के 15 शहरों में कंसर्ट्स का आयोजन किया जा रहा है और इसकी शुरुआत 9 नवंबर को कोलकाता में होगी. कोलकाता के बाद अहमदाबाद, वडोदरा, इंदौर, भोपाल, पुणे, ठाणे, रायपुर, हैदराबाद, बंगलुरु, गुरुग्राम, चंडीगढ़, लखनऊ और कानपुर जैसे शहरों में कंसर्ट्स का आयोजन किया जा रहा है. इसे तम्बू एंटरटेनमेंट द्वारा क्यूरेट और थिंकिंग हैट्स के साथ साझा रूप से निर्मित किया गया है.
उल्लेखनीय है कि ‘उड़नखटोला’ टूअर का मकसद संगीत से कहीं बड़ा है. बैंड ने अपनी नायाब पहल ‘प्ले फॉर पाव्स’ के लिए स्थानीय एनजीओ के साथ साझेदारी की है. इस अनूठी पहल का लक्ष्य है कि यह बैंड जिस किसी भी शहर में परफॉर्म करने जा रहा हो, वहां स्थानीय स्तर पर आवारा कुत्तों की अच्छी तरीके से देखभाल की जा सके. उल्लेखनीय है कि इस तरह के संगठनों के साथ साझेदारी कर बैंड देश भर के आवारा कुत्तों को आश्रय देने, उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने और उन्हें भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है.
ग़ौरतलब है कि बल्लिमारन अपने आप में संगीत का एक बेहद लोकप्रिय जॉनर रहा है और इसकी अपनी एक ख़ास शैली भी है. इसे मशहूर करने में पीयूष मिश्रा के गीतों का भी ख़ासा योगदान रहा है. ऐसे में अब बड़ी तादाद में लोग इसे पसंद भी कर रहे हैं. बैंड का अलहदा किस्म का संगीत, तंज कसने की विरासती कला ‘आरंभ’, ‘हुस्ना’ और ‘घर’ जैसे गानों के रूप में देखी जा सकती है.