लोक एवं जन-जातीय नृत्य प्रतियोगिता का उद्देश्य है विद्यार्थियों को लोक से भी जोड़ना: अनूप लाठर

asiakhabar.com | October 17, 2024 | 4:58 pm IST
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नई दिल्ली।दिल्ली विश्वविद्यालय की संस्कृति परिषद एवं मिरांडा हाउस के संयुक्त तत्त्वाधान में दो दिवसीय लोक/एवं जनजातीय नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। मिरांडा हाउस कॉलेज के प्रेक्षाग्रह में आयोजित इस प्रतियोगिता में विभिन्न कॉलेजों की कुल 17 टीमों ने भाग लिया। इसके साथ ही एकल नृत्य प्रतियोगिता में 28 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। जिन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों के लोक एवं जनजातीय नृत्यों की सुन्दर प्रस्तुतियाँ दीं।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे संस्कृति परिषद के चेयर पर्सन अनूप लाठर ने संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय की संस्कृति परिषद छात्र-छात्राओं के मध्य संस्कृति के विकास और उसके मूल्यों को विकसित करने के लिए निरंतर कार्यरत है। लोक एवं जन-जातीय नृत्य प्रतियोगिता आयोजित करने का उद्देश्य ही यह है कि विद्यार्थियों को लोक से भी जोड़ा जाए। यह हमारी समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा और आपसी विचारों की सहभागिता का साझा मंच है। संस्कृति परिषद के अधिष्ठाता रवीन्द्र कुमार ने कहा कि नृत्य एक साधना है जो न केवल एक कला रूप है अपितु मनुष्य के व्यक्तित्व को भी समायोजित करती है। इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने का उद्देश्य विद्यार्थियों को अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक करना है। मिरांडा हाउस की प्राचार्या प्रोफेसर विजयलक्ष्मी नंदा ने अपने संबोधन में कहा कि मिरांडा हाउस भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा।
प्रतियोगिता का प्रथम पुरस्कार के रूप में मोतीलाल नेहरू कॉलेज की प्रस्तुति ‘गोंडल’ नृत्य, द्वितीय पुरस्कार मैत्रीय कॉलेज की प्रस्तुति ‘कारागाटाम’ नृत्य एवं तृतीय पुरस्कार मिरांडा हाउस के गरबा नृत्य को दिए गए। इसके अतिरिक्त टीमों की प्रतिभागिता संख्या एवं कौशल और प्रतिभा को देखते हुए श्री गुरु नानक देव कॉलेज की भांगड़ा टीम को विशेष पुरस्कार प्रदान किए गए।
प्रतियोगिता के दौरान एकल नृत्य में पहला पुरस्कार लक्ष्मण राज रामानुजन कॉलेज को दिया गया। दूसरा स्थान संयुक्त रूप से दिया गया सीजल पी एस एंथ्रोपोलॉजी विभाग और शांभवी महेश वेंकटेश्वर कॉलेज को दिया गया। तीसरा पुरस्कार भी संयुक्त रूप में दिया गया, जिसमें पहला, इप्शिता पंत जीसस एंड मैरी कॉलेज और कावेरी अब्राल को गया। दो दिन चले इस कार्यक्रम में विभिन्न नृत्य-रूपों में चारी (राजस्थान), देवरत्तम (तमिलनाडु), भाँगडा (पंजाब), गरबा (गुजरात), गोंढल (गोआ), कारागट्टम (केरल), लुड्डि (पंजाब), डोलू कुनिथा (कर्नाटक), गिद्दा (पंजाब), मणिपुरी, कालबेलिया (राजस्थान), बैम्बू (नागालैंड) कोलाट्टम (तमिलनाडु), राजस्थानी, बोडो, एवम तेरह-ताली (राजस्थान) नृत्य प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम के दौरान मिरांडा हाउस का सभागार दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था। रँगारंग नृत्य और सँगीत के तालमेल ने समां बाँध रखा था। जिसमें दर्शकों का अति उत्साह प्रतिभागियों को और अधिक प्रोत्साहन दे रहा था।
निर्णायक के रूप में डॉ. रक्षा सिंह (राष्ट्रीय कथक गुरु और कलाकार), वानी राजमोहन (भरतनाट्यम गुरु और कलाकार) एवं डॉ. नीरा शर्मा (सेवा निवृत अध्यक्ष संगीत विभाग, प्राचार्य और नृत्यांगना एवं गायिका) उपस्थित रहीं। कार्यक्रम के आयोजन में डॉ. निशा नाग, प्रो. बाशबी गुप्ता, डॉ. कविता भाटिया, डॉ. विशाल मिश्र और डॉ. अनु कुमारी ने सक्रिय योगदान दिया।


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