आईसीआईसीआई लोम्बार्ड और आईआरएम इंडिया एफिलिएट ने जारी किया इंडिया रिस्क रिपोर्ट का दूसरा संस्करण: साइबर सिक्योरिटी, टेक्नोलॉजी और टैलेंट की कमी हर सेक्टर के लिए गंभीर चिंता

asiakhabar.com | September 29, 2024 | 4:45 pm IST

मुंबई: विकसित भारत 2047 कार्यक्रम के तहत जैसे-जैसे भारत एक विकसित राष्ट्र (डेवलप्ड नेशन) बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, इसने अपने आर्थिक विकास (इकोनॉमिक ग्रोथ) में भी तेजी कायम रखी है। इंडस्ट्री से जुड़े जोखिम (रिस्क) के जटिल माहौल के बीच देश की मजबूत ग्रोथ, इंडियन इंडस्ट्री के लिए अवसर और चुनौतियां दोनों पैदा करती है। एक मजबूत रिस्क कल्चर (जोखिम संस्‍कृति) किसी भी संगठन को कैलकुलेटेड रिस्क उठाकर और संभावित खतरों व उन खतरों को प्रभावी तरीके से मैनेज कर अपने उद्देश्यों को पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ाने में सक्षम बनाएगा।
इंडिया रिस्‍क
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड और आईआरएम इंडिया की इस मुद्दे पर रिपोर्ट 2024, संगठन के स्‍तर पर बनने वाली रणनीतियों में रिस्क कल्चर को शामिल करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। रिपोर्ट किसी संगठन के “रिस्‍क कल्चर” को समझने के लिए एक आसान समझ ए-बी-सी पर जोर देती है। व्यक्तियों और समूहों के किसी भी बात को लेकर सोचने व समझने का पहलू, उनके व्यवहार को आकार देता है। समय के साथ, ये बार बार दोहराए जाने वाले व्यवहार एक कल्चर यानी संस्कृति का निर्माण करते हैं, जो बदले में संगठन के अंदर व्यवहार और सोचने समझने के तरीके को प्रभावित करते हैं।
यह रिपोर्ट सक्रिय रूप से जोखिम प्रबंधन (रिस्क मैनेजमेंट) के महत्व की याद दिलाती है। यह जोखिम के अनुभवों, प्रबंधन के तरीकों और सांस्कृतिक पहलुओं के व्यापक सर्वे के आधार पर इंडियन इंडस्ट्री के भीतर प्रक्रियाओं और सांस्कृतिक स्थिति के मूल्यांकन का आकलन करता है। यह किसी बिजनेस को बड़े जोखिम से निपटने और लगातार ग्रोथ के अवसरों को भुनाने के लिए कार्रवाई योग्य गहरी समझ प्रदान करता है।
प्राथमिक और माध्यमिक रिसर्च को मिलाकर, की गई व्यापक स्टडी, अलग अलग सेक्टर में बिजनेस और रिस्क लीडर्स से मिलने वाली बेहद ही मूल्यवान समझ को शामिल करती है। इस रिपोर्ट का उद्देश्य प्रभावी जोखिम प्रथाओं पर आधारित संगठनों के स्‍तर पर एक बेहतर संस्कृति को बढ़ावा देते हुए, जोखिम को लेकर हमारी समझ और साथ ही प्रबंधन को बढ़ाना है।
यह 2022 और 2023 की सालाना रिपोर्ट के आधार पर 500 से अधिक भारतीय कंपनियों और 50 से अधिक वैश्विक कंपनियों के जोखिम को लेकर किए गए खुलासों (डिसक्लोजर) की जांच करता है। इन खुलासों की संख्या और क्वालिटी इन संगठनों के अंदर प्रचलित रिस्क कल्चर को लेकर गहरी समझ प्रदान करते हैं।
1. रिस्क मैच्योरिटी : कोई भी बड़ा और मैच्योर संगठन यह सुनिश्चित करता है कि सभी कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी वाले क्षेत्रों में जोखिम की पहचान कर सकें। सर्वे में मिलने वाली प्रतिक्रियाओं के अनुसार, पिछले साल की तुलना में इस पहलू में सुधार हुआ है। 42% संगठन अभी भी बोर्ड या रिस्क डिपार्टमेंट से किसी जोखिम की पहचान करने की उम्मीद करते हैं।
2. रिस्क कल्चर : किसी भी चीज में शामिल जोखिम नजरों से नहीं देखा जा सकता है, वहीं यह सब्जेक्टिव होता है, जिसके चलते रिस्क कल्चर का पता लगाने में कई तरह की चुनौतियां आती हैं। इस जटिलता के बावजूद, हमारी रिसर्च टीम ने संगठनात्मक लचीलेपन को बेंचमार्क करने के लिए एक रिस्क कल्चर स्कोरिंग सिस्टम (0-100) विकसित की है। हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि सिर्फ 16% बिजनेस 60 से ऊपर स्कोर करते हैं, वहीं सिर्फ 6% बिजनेस 80-100 के बीच स्कोर प्राप्त करते हैं।
3. टॉप रिस्क : साइबर सिक्योरिटी, टेक्नोलॉजी और टैलेंट की कमी सभी क्षेत्रों में गंभीर चिंता के रूप में उभरी है। जैसे-जैसे बिजनेस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपनी निर्भरता बढ़ा रहे हैं, साइबर हमलों का जोखिम काफी बढ़ गया है, जबकि बेहतर टैलेंट यानी प्रतिभा को काम पर रखने और बनाए रखने की चुनौती बढ़ती जा रही है।
4. मिड साइज कंपनियां: इस साल की रिपोर्ट मध्यम आकार की कंपनियों में जोखिम के महत्व पर भी जोर देती है। जो भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव बनाते हैं और भारत की जीडीपी का लगभग एक-तिहाई और हमारे कुल निर्यात का आधा हिस्सा हैं। कुल मिलाकर, मध्यम आकार की कंपनियों ने पिछले कुछ साल में महत्वपूर्ण ग्रोथ दिखाई है।
5. 10 इंडस्ट्री लीडर्स और 5 रिस्क एक्सपर्ट द्वारा एनालिसिस : हमारे एक्सपर्ट योगदानकर्ता और प्रमुख एक्सटर्नल स्टेकहोल्डर्स, जिनके पास अलग अलग सेक्टर में गंभीर जोखिम से निपटने का कई साल का अनुभव है, ये रणनीतियां प्रदान करते हैं, जो स्थायी ग्रोथ हासिल करने और जटिल तरह के रिस्क मैनेजमेंट पर एक व्यापक समझ प्रदान करते हैं।
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड में चीफ – कॉरपोरेट सॉल्यूशंस बिजनेस, संदीप गोराडिया का कहना है कि इंडस्ट्री में जोखिम की धारणा तेज गति से विकसित हो रही है। जिन सेक्टर को कभी जोखिम-प्रतिरोधी माना जाता था, वे अब नई और कठिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, क्योंकि ग्लोबल स्तर पर जोखिम बढ़ रहे हैं और ये एक दूसरे से जुड़े हैं। प्रतिभाओं की कमी और आर्थिक अनिश्चितताओं के साथ साइबर सिक्योरिटी को लेकर खतरों के बढ़ने ने रिस्क मैनेजमेंट को सिर्फ रणनीतिक विचार से परिचालन संबंधी अनिवार्यता में बदल दिया है।
आज के माहौल में, संगठनों को इन उभर रहे खतरों का अनुमान लगाने और उनसे निपटने के लिए दूरदर्शी सोच अपनानी चाहिए। इंश्योरेंस इस ढांचे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो अप्रत्याशित व्यवधानों के खिलाफ वित्तीय सुरक्षा और रणनीतिक बफर दोनों प्रदान करता है। आईआरएम के साथ हमारा सहयोग हमें गहरी समझ और कार्रवाई योग्य रणनीतियां प्रदान करने में सक्षम बनाता है जो न सिर्फ तत्काल जोखिमों को मैनेज करते हैं बल्कि लंबी अवधि में लचीलेपन को भी बढ़ावा देते हैं। रिस्क मैनेजमेंट को अपने संचालन के मूल में एकीकरण के जरिए, बिजनेस न सिर्फ अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं, बल्कि अस्थिर परिस्थितियों में भी मिलने वाले अवसरों का लाभ उठा सकते हैं।
आईआरएम इंडिया एफिलिएट के सीईओ और भारत के सबसे युवा एंटरप्राइज रिस्क एक्सपर्ट, हर्ष शाह ने कहा कि जैसा कि विकसित भारत 2047 पहल के तहत भारत एक विकसित देश बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, यह खुद को बड़े अवसरों और जटिल चुनौतियों के रास्ते पर पाता है। बिजनेस और जोखिम का गतिशील माहौल एक नए स्तर की तीव्रता और दूरदर्शिता की मांग करता है। यह इस संदर्भ में है कि हम आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के साथ अपनी रिपोर्ट, “बिल्डिंग रेजिलिएशन: ए कॉम्प्रिहेंसिव एनालिसिस ऑफ रिस्क कल्चर इन इंडियाज कॉरपोरेट सेक्टर” का दूसरा संस्करण पेश कर रहे हैं।
दूसरा संस्करण रिस्क कल्चर को गहराई से उजागर करता है, जो संगठनात्मक स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण लेकिन अक्सर अनदेखा किया जाने वाला पहलू है। रिस्क कल्चर को समझने और बढ़ाने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता किसी संगठन की उभरते परिदृश्यों के लिए तैयारी करने, अनिश्चितताओं से निपटने और अवसरों का प्रभावी ढंग से लाभ उठाने की क्षमता पर इसके गहरे प्रभाव से पैदा होती है।


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