ज्यूरिख। क्या आप भी उन स्टूडेंट्स में से एक हैं जिनके लिए मैथ्स एक हौवा है? ट्रिग्नोमेट्री और फ्रैक्शन आपके भी कभी समझ नहीं आया? यानी मैथ्स आपके लिए एक बुरे सपने जैसा है तो आपके लिए है एक गुड न्यूज है। आप भी मैथ्स के जीनियस हो सकते हैं। गणित में ‘नैचुरल टैलेंट’ होना सिर्फ एक मिथ है।
ज्यूरिख टेक्निकल यूनिवर्सिटी की एक प्रोफेसर एल्बेथ स्टर्न ने अपने एक रिसर्च पेपर में कहा है की मैथ्स एक ‘फंडामेंटल ह्यूमन एबिलिटी’ है। उनका मानना है कि जरूरी नहीं है कि एक मैथ्स जीनियस को शुरूआत से ही मैथ्स में महारथ हासिल हो।
स्टर्न का तर्क है कि खराब गणित के ग्रेड आमतौर पर इनइफेक्टिव मैथ्स टीचिंग से होते हैं। हालांकि, यह तर्क बदलता है जब यह सीखने की योग्यता के साथ आती है।
कॉन्सेप्चुअल समझ की कमी के कारण सबसे बुद्धिमान छात्र भी अक्सर उन सवालों को नहीं कर पाते जो कक्षा में करवाए सवालों से अलग है।
अगर कोई मानता है कि गणित में वह कमजोर हैं तो आपका ब्रेन इस बात को स्वीकार लेता है और फिर किसी सवाल को हल के लिए जितनी मेहनत जरूरी है, उतनी भी नहीं करता। गणित नेचुरल टैलेंट से कई ज्यादा परिश्रम का खेल है।
पांच साल में 3,520 स्टूडेंट्स के गणित के ज्ञान को मापने के लिए की गई रिसर्च का परिणाम कहता कि उनके गणित की विकास इस बात पर निर्भर नहीं करता कि वह कितने स्मार्ट है बल्कि उनके मोटिवेशन और पढ़ाई करने के तरीके पर निर्भर करता है।