नागरी लिपि परिषद ने आयोजित की स्वर्ण जयंती नागरी लिपि राष्ट्रीय संगोष्ठी

asiakhabar.com | August 20, 2024 | 5:12 pm IST
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नई दिल्ली। देश विदेश में नागरी लिपि का प्रचार प्रसार करने वाली प्रतिनिधि संस्था नागरी लिपि परिषद् की स्थापना की स्वर्ण जयंती के अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के श्यामा मुखर्जी महिला महाविद्यालय, के सभागार में 17 अगस्त को राष्ट्रीय नागरी लिपि संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ महाविद्यालय की छात्रा सरस्वती देवी की सरस्वती वंदना और वाराणसी की के कवि श्री मोहन द्विवेदी की नागरी वंदना और अतिथियों के दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। परिषद की ओर से अंगवस्त्र और नागरी साहित्य से अतिथियों का स्वागत किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ साधना शर्मा ने अपने स्वागत भाषण में स्वर्ण जयंती समारोह के उनके महाविद्यालय को चुनने के लिए नागरी लिपि परिषद का आभार प्रकट किया । समारोह के
मुख्य अतिथि डॉ. सुनील बाबू राव कुलकर्णी, निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा और निदेशक केंद्रीय हिंदी निदेशालय ,शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा कि बुलंदियों पर ठहरना कमाल होता है, नागरी लिपि परिषद् , नागरी लिपि को बुलंदियों पर पहुंचा कर इस सभागार में उपस्थित नई पीढ़ी को राष्ट्रीय एकता की शिक्षा दे रही है।
कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. हरि सिंह पाल, महामंत्री, नागरी लिपि परिषद् ने कहा, नागरी लिपि परिषद् जिन बोलियों और भाषाओं की लिपि नहीं है ,वे नागरी लिपि में लिखी जाऐं, जिससे वे लुप्त ना हों और उनका भविष्य के लिए संरक्षण हो सके,ऐसे अनवरत प्रयास कर रही है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में पूर्व कुलपति एवं अध्यक्ष नागरी लिपि परिषद्, डॉ. प्रेमचंद पतंजलि ने कहा, नागरी लिपि परिषद् के कार्यक्रम अब ज्यादा से ज्यादा कॉलेज एवं स्कूलों में कार्रवाए जाएंगे और विद्यार्थियों के लिए नागरी लिपि प्रश्नोत्तरी भी करवाई जाएगी।
अतिविशिष्ट अतिथि-इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के समकुलपति डॉ.किरण हजारिका ने कहा, हमें नागरी लिपि में निरंतर स्वयं कविता या लेख लिखें और किताब छपवाएं तथा अनुवाद आदि कार्य सतत करते रहने चाहिए।
अतिविशिष्ट अतिथि- फिजी में रहे पूर्व राजनयिक एवं प्रख्यात भाषाविद् डॉ. विमलेश कांति वर्मा ने कहा, हमारी नागरी लिपि सर्वोत्तम और सामर्थ्यवान है, इसमें परिवर्तन की आवश्यकता नहीं। इसके और अधिक प्रचार प्रसार की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य,वीरेन्द्र कुमार यादव ने कहा कि भाषा के लिए उसकी वर्तनी का उत्तम होना आवश्यक है।
वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के पूर्व उपनिदेशक श्री उमाकांत खुबालकर ने कहा कि नासा का एक कार्यक्रम एक अरब सतासी करोड़ संस्कृत की ध्वनियों से संचालित होता है जो कि नागरी लिपि की हैं।केंद्रीय हिंदी निदेशालय के पूर्व उपनिदेशक, डॉ.भगवती प्रसाद निदारिया ने कहा कि कुछ आगत शब्दों को नागरी लिपि के व्याकरण की चादर उड़ाकर हमने अपना लिया है जैसे- बस अंग्रेजी का शब्द है ,लेकिन बसें अब नागरी लिपि का शब्द है।
आथर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया के महासचिव,डॉ.शिवशंकर अवस्थी ने कहा नागरी लिपि में संप्रेषण अच्छा होना चाहिए,संवाद के अंदर सत्व होना चाहिए।
नागरी लिपि अध्येता डॉ.रश्मि चौबे, गाजियाबाद ने कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र का उत्तम संचालन किया ।द्वितीय सत्र का सधा हुआ संचालन,आकाशवाणी के पूर्व अधिकारी, अरुण कुमार पासवान ने किया। द्वितीय सत्र की अध्यक्षता इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय के समकुलपति डॉ.किरण हजारिका ने की, कार्यक्रम की शुरुआत श्यामा प्रसाद मुखर्जी महिला महाविद्यालय की शिष्या सरस्वती की सरस्वती वंदना से हुआ, स्वागत भाषण, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, महिला महाविद्यालय की प्राचार्या, डॉ. साधना शर्मा ने किया , श्यामा प्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय, दिल्ली के डॉ अनुराग सिंह ने आभार व्यक्त किया।
दूरदर्शन केन्द्र श्रीनगर के पूर्व अधिकारी, डॉ. अजय कुमार ओझा एवं जिनेवा, स्विट्जरलैंड से पधारे श्री मोहित चौबे ने कार्यक्रम के वीडियो बनाए।
नराकास(उपक्रम) गाजियाबाद के सदस्य सचिव श्री ललित भूषण ने सूचना प्रौद्योगिकी में नागरी लिपि की स्थिति पर अपना पीपीटी व्याख्यान प्रस्तुत किया।
संगोष्ठी में डॉ हरिसिंह पाल के संपादन में प्रकाशित नागरी लिपि परिषद् की मुख पत्रिका ‘नागरी संगम’ पत्रिका और अखिल विश्व हिंदी समिति, न्यूयॉर्क, अमेरिका द्वारा प्रकाशित वैश्विक हिंदी पत्रिका ‘सौरभ’ और नागरी लिपि परिषद् से जुड़े लेखक डॉ.अजय कुमार ओझा, श्री अरुण कुमार पासवान, डॉ ओम प्रकाश शर्मा प्रकाश,डॉ. शिवशंकर अवस्थी, श्रीमती नीतू सिंह राय, कर्मवीर सिंह, वीरेन्द्र कुमार यादव आदि की पत्रिकाओं एवं पुस्तकों का विमोचन मंचस्थ अतिथियों द्वारा हुआ।
कार्यक्रम में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के समकुलपति डॉ. किरण हजारिका एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य डॉ ओम प्रकाश शर्मा प्रकाश का उनकी दीर्घकालीन उल्लेखनीय नागरी लिपि सेवाओं के लिए शाल और प्रशस्ति पत्र भेंट कर राष्ट्रीय नागरी सम्मान से अलंकृत किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापकों और छात्राओं प्रतिभागिता प्रमाण पत्र और नागरी संगम पत्रिका भेंट की गई।
समारोह में नागरी लिपि परिषद् के कोषाध्यक्ष आचार्य ओम प्रकाश, नागरी सेवी मोहन द्विवेदी, पूर्व मुख्य महाप्रबंधक श्री प्रमोद कुमार, हिंदी अधिकारी श्री श्रवण कुमार,श्री कृष्ण कुमार माहेश्वरी, डॉ अर्चना सक्सेना, महाविद्यालय की डॉ शिवानी जार्ज,डॉ विभा नायक, डॉ अनीता कुमारी, डॉ मीनू गेरा, डॉ निधि शुक्ल, डॉ भारत पवांर, डॉ संतोष यादव, डॉ शाहीन, डॉ प्रेमशंकर पांडे , डॉ.सुरेश चंद्र मीणा सहित अनेक प्राध्यापक और विद्यार्थियों की उपस्थिति उल्लेलीय रही। आभासी माध्यम पर प्रोफेसर नीलू गुप्ता, (कैलिफोर्निया ,अमेरिका) ,डॉ. राज लक्ष्मी कृष्ण (चेन्नई ), डॉ इसपाक अली (बेंगलुरु),डॉ.विजया भारती जेदी, (विशाखापट्टनम्) , डॉ वी पी फिलिप (कोहिमा, नागालैण्ड), डॉ संगीता पाल (कच्छ,गुजरात), डॉ कृष्णाजी श्रीवास्तव (लखनऊ), डॉ कमल किशोर गुप्ता (नागपुर), डॉ पोपट राव कोटमे (नासिक),अपराजिता शर्मा (रायपुर, छत्तीसगढ़), डॉ. अशोक अभिषेक (कोडरमा ,झारखंड ), डॉ परीक्षित नाथ, डॉ नंदिता राजवंशी श्री ललित शर्मा, (डिब्रूगढ़, असम) , श्वेता मिश्रा (पुणे), डॉ अनिल कुमार साहू(बेंगलुरु), डॉ विजय वेदालंकार (सोनीपत), जयवीर सिंह (पुणे),राकेश कुमार डांगोदरा (सूरत, गुजरात), श्रीमती शशित्यागी (अमरोहा) ,किशोर कुमार कौशल(वल्लभगढ़ ,हरियाणा) ,डॉ. नाथूराम राठौर, (दमोह ,मध्य प्रदेश) सहित अनेक नागरी सेवी समारोह में सम्मिलित हुए।


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