ढाका। बांग्लादेश में तख्तापलट और पूरे देश में अराजकता और हिंसात्मक माहौल के बीच नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को गठित होने वाली अंतरिम सरकार का नेता चुना गया है। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन की अध्यक्षता में बंगा भवन (राष्ट्रपति भवन) में हुई बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया। ग्लोबल माइक्रोक्रेडिट आंदोलन के संस्थापक और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का प्रमुख प्रतिपक्षी माना जाता है।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनने का प्रस्ताव मान लिया है। इस बैठक में आरक्षण आंदोलन के प्रमुख छात्र नेताओं के साथ-साथ तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद थे।
1974 में जब बांग्लादेश में अकाल पड़ा तब युनुस चटगांव यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स पढ़ाते थे। इस अकाल में हजारों लोग मारे गए थे। तब युनुस ने देश की विशाल ग्रामीण आबादी की मदद के लिए कोई बेहतर तरीका खोजने की सोची। गरीबों के बैंकर’ के रूप में पहचाने जाने वाले यूनुस और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला चुका है। कारण, उन्होंने गांव में रहने वाले गरीबों को 100 डॉलर से कम के छोटे-छोटे कर्ज दिलाकर लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की थी। इन गरीबों को बड़े बैंकों से कोई मदद नहीं मिल पाती थी।
इसी साल जनवरी में यूनुस को श्रम कानून के उल्लंघन के लिए छह महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी। जून में बांग्लादेश की एक अदालत ने यूनुस और 13 अन्य लोगों पर उनके द्वारा बनाए गए एक दूरसंचार कंपनी में वहां काम करने वाले लोगों के कल्याण कोष से 252.2 मिलियन टका (2 मिलियन डॉलर) के गबन के आरोप में में मुकदमा भी चलाया था। हालांकि उन्हें किसी भी मामले में जेल नहीं भेजा गया। यूनुस पर भ्रष्टाचार और अन्य कई आरोपों के 100 से अधिक अन्य मामले चल रहे हैं।