संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने ‘कूटनीति में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ पर महिला राजनयिकों के ‘‘अमूल्य योगदान’’ को सम्मानित करते हुए भारतीय सुधारक एवं शिक्षाविद् हंसा मेहता को श्रद्धांजलि दी।
सोमवार को यहां कूटनीति में महिलाओं को सम्मानित करने के लिए दूसरे वार्षिक कार्यक्रम में फ्रांसिस ने कहा कि इतिहास में अब तक महिला राजनयिकों ने ‘‘बाधाओं को तोड़ा है और बहुपक्षवाद में अमूल्य योगदान दिया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘क्या मानवाधिकारों का सार्वभौमिक घोषणापत्र आज सच में सार्वभौमिक होता, अगर हंसा मेहता ने इसके शुरुआती वाक्य को ‘सभी पुरुषों’ से बदलकर ‘सभी मनुष्य’ स्वतंत्र और समान पैदा हुए हैं, करने पर जोर नहीं दिया होता?’’
मेहता ने 1947 से 1948 तक मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र आयोग में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में काम किया और उन्हें मानवाधिकारों के ऐतिहासिक सार्वभौमिक घोषणापत्र में लैंगिक रूप से अधिक संवेदनशील भाषा का इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए जाना जाता है। उनका 1995 में 97 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया था।
फ्रांसिस ने कूटनीति में इलीनोर रूजवेल्ट, बेगम शाइस्ता इकरामुल्ला और मिनेर्वा बर्नार्डिनो समेत अन्य महिलाओं द्वारा निभायी गयी भूमिका की भी प्रशंसा की। कूटनीति में महिलाओं के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘आप आदर्श हैं – युवा महिलाओं और लड़कियों को अपनी पूर्ण क्षमता हासिल करने के लिए प्रेरणा दे रही हैं।’’