लंदन। कई बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने को लेकर 9,000 करोड़ की धोखाधड़ी और मनीलांड्रिंग के केस में वांछित भगोड़ा कारोबारी विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण को लेकर सोमवार को ब्रिटेन में सुनवाई शुरू हुई। इसमें अभियोजन पक्ष ने ब्रिटिश अदालत में दलील दी कि माल्या को धोखाधड़ी का जवाब देना है, इसलिए उसे भारत ले जाना जरूरी है।
जबकि कोर्ट में पेशी से पूर्व माल्या ने अपने खिलाफ आरोपों को फर्जी, मनगढ़ंत और निराधार बताया। फरार कारोबारी को भारत को सौंपना है या नहीं, इस पर लंदन स्थित वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में 14 दिसंबर तक लगातार सुनवाई चलेगी।
आग लगने से देर से शुरू हुई अदालती कार्यवाही में अभियोजन की तरफ से क्राउन प्रांसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) के वकील मार्क समर्स ने भारत का पक्ष रखा। कहा, “माल्या ने कर्ज हासिल करने के लिए बैंकों को कैसे गुमराह कर प्रावधानों से खिलवाड़ किया, हम इस ओर अदालत का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं।”
उन्होंने 2009 में आईडीबीआई बैंक से घाटे में चल रही किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा कर्ज हासिल करने के एक मामले का उल्लेख करते हुए माल्या पर धोखाधड़ी का आरोप मढ़ा। इस पर बचाव पक्ष यानी माल्या की वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एम्मा लुईस अरबुथनाट से कहा कि उन्हें भी अपनी बात रखनी है, लिहाजा अभियोजन जल्द अपना पक्ष रखे। लेकिन अभियोजन ने कहा कि उसे घटना का पूरा ब्योरा देना है। इसलिए जल्दबाजी में बात नहीं खत्म कर सकते। इस दौरान माल्या कठघरे में बैठा रहा। भारत से लंदन पहुंची सीबीआइ व ईडी की चार सदस्यीय टीम के सदस्य भी सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद थे।
जज अरबुथनाट की अदालत को ही माल्या प्रत्यर्पण मामले की पूरी सुनवाई करनी है। इसी अदालत ने 61 वर्षीय कारोबारी को जमानत दी है। किंगफिशर एयरलाइंस का प्रमुख रहा माल्या अप्रैल में अपनी गिरफ्तारी के बाद जमानत पर है। वह 2 मार्च, 2016 को भारत से भागकर ब्रिटेन पहुंचा था। फिलवक्त वह लंदन से 30 मील दूर हर्टफोर्डशायर स्थित अपने लेडीवाक फार्म हाउस में रह रहा है।
फैसला जनवरी पहले हफ्ते तक आने की उम्मीद
जानकारों का कहना है कि माल्या के प्रत्यर्पण पर अदालत अगले वर्ष जनवरी के पहले हफ्ते तक ही कोई फैसला सुना सकती है। अगर प्रत्यर्पण आग्रह के पक्ष में फैसला आता है तो ब्रिटेन के गृह मंत्री को दो महीने के अंदर माल्या को नई दिल्ली के हवाले करने का आदेश देना होगा। हालांकि इस दौरान फैसले के खिलाफ उच्च अदालतों में अपील करने का विकल्प विजय माल्या के पास होगा। कहा जा रहा है कि सुनवाई के दौरान भारत में जेलों की खराब स्थिति का हवाला देते हुए बचाव पक्ष माल्या के मानवाधिकारोंकी रक्षा की मांग कर सकता है।