राजनीति में अपशब्द का इस्तेमाल नहीं करें

asiakhabar.com | May 17, 2024 | 5:39 pm IST
View Details

-संजय गोस्वामी-
जिस तरह कोई भी नेता प्रधान मंत्री के बारे में मैं इतना बुरे शब्दों का इस्तेमाल करता व सत्ता पक्ष उसका जबाव देता है ऐ सबों की उसकी बौखलाहट का नतीजा है ऐ रे तुम ताम करना गलत है और प्रधान मंत्री ने उसका जवाब शांतिपूर्वक तरीके से दिया, शांति से काम दें देशहित में बात करें कहाँ क्या हुआ नहीं हुआ ऐ जनता को मालूम है खासकर युवाओ और बुजुर्गो को, देश के सेना पर सबाल उठाना नहीं चाहिए सर्जिकल स्ट्राइक हुआ ऐ मान लें तो क्या होगा क्योंकि ऐ सेना प्रमुख का बयान है जो सरहदो पर हमारी रक्षा करते हैं। जब निर्दोष होने पर भी आपको प्रतिष्ठा पर आक्रमण हो रहा हो तथा आपका नाम घसीटा जा रहा हो, तो आप बौखलाकर कटु उत्तर न देने लगें, बल्कि संयम से काम लें तथा यत्र तत्र प्रलाप (लूज टाक) न करें। समय आने पर ही उत्तर दें तथा उचित एवं सीमित उत्तर दें। मितभाषी होना सीखें। अधिक बोलनेवाला व्यक्ति स्वयं ही अपने को उलझाकर समस्याएं खड़ी कर लेता है तथा फँसता जाता है। व्यर्थ की बकबक से मनुष्य अपनी गरिमा खो देता है। अति का भला न बोलना अति की भली न चुप्प। जिस बात को आप लिखकर हस्ताक्षरित न कर सकें, उसे कदापि न कहें। बहुभाषिणी न श्रद्दधाति लोक (बाण)। लोग बहुत बोलनेवाले का विश्वास नहीं करते हैं। अत्याचार का प्रतिरोध तो अवश्य अन्त तक करें, किंतु अशोभनीय शब्द न कहें, अभद्र व्यवहार न करें। लोग आपके सौजन्य को भी दुर्बलता कहेंगे, किंतु सौजन्य तो मनुष्य की शोभा है, उत्तम प्रभावकारी गुण है। गाली का जवाब गाली नहीं है, आवत गारी एक है, उलटत होय अनेक। कह कबीर नहिं उलटिए, वही एक को एक। व्यक्तिगत हमला होने पर आपकी मान्यताओं एवं आस्थाओं की परीक्षा होती है। संघर्ष से आपका व्यक्तिगत निखरकर ऊपर उठ सकता है और भौतिक पराजय एवं हानि पर भी आप चमक सकते हैं। वह आपकी विजय होगी। सत्यमेव जयते। सत्य की जय होती है। सत्य को सूर्य सदा के लिए छिपा हुआ नहीं रह सकता है। कभी-कभी मनुष्य के मरने के बाद भी सत्य प्रकट होता है। मनुष्य मरणशील हैं, किंतु सत्य अमर है। लोग तो आपको अपनी दृष्टि से देखते हैं, आत्म-प्रेक्षपण करते हैं। जिनकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत तिन देखी तैसी। दुष्ट लोग सन्तों को घुन्ना, छिपा रुस्तम, बना हुआ पाखंडी, ऊँचा कलाकार कह देते हैं और उन्हें दुष्ट सिद्ध करने का प्रयत्न करते हैं। किसी के गुणप्रकर्ष को न जा सकने से उसकी निंदा होने पर आश्चर्य नहीं है। न वेत्ति यो यस्य गुणप्रकर्ष स तं सदा निन्दति नात्र चित्रम्। यथा किराती करिकुम्भजातां मुक्तां परित्यज्य बिभर्ति गुञ्ञाम्। लोग तो अपने स्तर पर रहकर ही तथा अपनी शिक्षा और संस्कारों के अनुसार ही आपका मूल्याकांन करेगे। वे आपके स्तर पर उठकर आपको कैसे देखें? किंतु कुछ लोग तो जान-बूझकर गुणों को देखते ही नहीं और दोषों को ही देखते हैं। दुष्ट को दूसरों को दोष ही दिखाई देते हैं, गुण नहीं दीखते। सुंदर मणियों से विनिर्मित भवन में भी चींटी छिद्र ही ढूंढती है-सुन्दरमणिमयभवने पश्यति पिपीलिका रन्ध्रम्। छिद्रान्वेषण करना दुष्टों का स्वभाव होता है। दोषदर्शन से कटुता उत्पन्न होती है। सर्प और बिच्छु प्रकृतिवाले दुष्ट वाले (सैडिस्ट) दिनभर इसी में सुख मानते हैं कि आज कितने लोगों को रुला दिया और कितने लोगों को सता दिया। वे दूसरों को सताने में, दूसरों का अकारण अपमान करने में सुख मानते हैं। आप उनसे कितने ही बचें, वे आपको नहीं छोड़ते। वे बनावटी प्रेम दिखाकर खून चूस लेते हैं। अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए आपके पेट में घुसकर आपसे काम ले लेते हैं और आपको आवश्यकता होने पर वे आपको सहायता देने के बजाय हानि पहुँचाने में सक्रिय हो जाते हैं तथा अपने क्रूर अत्याचार को सिद्धान्तों का जामा पहनाकर स्वयं अच्छे, भले नजर आते हैं। ऐसे व्यक्ति जब उच्च पदाधिकारी अथवा धन के कारण सत्ताधारी हो जाते हैं, तो त्राहि-त्राहि मच जाती है। उनके दमन का डटकर प्रतिरोध करते हुए भी उन्हें प्रेम से ही सुधारा जा सकता है। सन्त उन्हें क्षणा ही करते हैं। साधुपुरुष संकट में भी उत्तम स्वभाव का परित्याग नहीं करते। कपूर आग में जलने पर सुगान्धित हो जाता है। स्वभावं न जहात्यन्तः साधुरापद्गतोऽपि सन्। कर्पूरः पावकप्लुष्टः सौरभं भजतेतराम्। निन्दक को धन्यवाद दो। यदि नाटक में खलनायक (विलेन) न हो, तो नायक (हीरो) के व्यक्तित्व में चमक न आयेगी। विश्वास रखो कि समाज में एक दिन आपकी सत्यनिष्ठा का मान अवश्य होगा। वास्तव में निंदक आपके नाम को चमकाने में लगे हुए हैं। अतः राजनीति में कोई हारता है और कोई जीतता है लेकिन वाणी में संयम रखें सही है उनकी पार्टी के लिए बदलाव होना चाहिए संयम से काम लें शांति से उपाय सोचें नहीं तो अगर आप चुनकर भी आते हैं तो दूसरे को किस तरह जवाब देंगे वैसे हीं तो कोई आपसे बात नहीं करेगा।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *