नई दिल्ली। भारतीय लोकतंत्र के गौरव के प्रतीक संसद भवन को अब अपनी 90 साल पुरानी चमक फिर मिलेगी। फिलहाल इसके लिए दुनिया की सबसे आधुनिक वेपर (वाष्प) तकनीक का इस्तेमाल होगा जो बगैर किसी क्षति के पत्थरों का पुराने स्वरूप प्रदान करती है। दावा है कि इस तकनीक का अब तक रोम के कैथोलिक चर्च को चमकाने में इस्तेमाल किया गया है।
चार मंजिला अर्द्ध गोलाकार संसद भवन की बाहरी दीवारों पर लगे पत्थर प्रदूषण और धूप के चलते बदरंग होने लगे हैं। मौजूदा संसद भवन का निर्माण कार्य वैसे तो वर्ष 1921 में शुरू किया गया था, लेकिन यह छह वर्ष बाद 1927 में बनकर तैयार हुआ था। तब इस ऐतिहासिक धरोहर को बनाने की लागत 83 लाख रुपए आई थी।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और इंटेक की देखरेख में संसद भवन को चमकाने का यह काम वैसे तो शुरूहो गया है, लेकिन इस काम को पूरा होने में लंबा समय लगेगा। यह इसलिए क्योंकि संसद सत्र के दौरान यह काम बंद रहेगा। ऐसे में जब खाली समय मिलेगा, तभी काम होगा।
इंटेक से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिलहाल वेपर तकनीक के पहले चरण का काम पूरा कर लिया गया है। इसके तहत संसद भवन के सभी 127 खंभे और बाहरी दीवारों पर लगे लाल पत्थरों को चमका दिया गया है। अगले चरण में भवन के बाकी बचे बाहरी हिस्से और अंदर के हिस्से को साफ किया जाएगा। इसके अलावा भवन में लगी कई खास पेंटिंग और टाइलों को भी संरक्षित किया जाएगा।
धुलाई के साथ कोटिंग भी होगी
इंटेक से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि तकनीक के तहत पानी को वाष्प बनाकर एक विशेष तरह के साबुन की मदद से निर्धारित प्रेशर पर पत्थरों को डाला जाता है। इससे पत्थरों की धुलाई के साथ एक खास तरह की कोटिंग भी होती है। इस पूरे अभियान का जो सबसे अहम पहलू है, वह यह है कि इस कामकाज से भवन का कोई भी हिस्सा खराब या क्षतिग्रस्त नहीं होना चाहिए। इसके लिए अफसरों की एक टीम हर दिन के कामकाज को बारीकी से जांचती है। हेरिटेज भवन होने के चलते सभी नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है।