अभिनंदन बारंबार करूं
विजय कनौजिया
योगदान तुम भी कर दो
मैं कब तक अब प्रयास करूं
चलो रूठना अब छोड़ो
मैं कब तक अब मनुहार करूं.।।
ये पहल सफल यदि हो जाए
संबंध मधुर हो जाएंगे
तुम भी कुछ कदम बढ़ाओ अब
मैं कब तक अब तकरार करूं.।।
जीवन में अनबन से अक्सर
संबंध मधुर मिट जाते हैं
गलतियां चलो मेरी ही थीं
अब बोलो क्या स्वीकार करूं.।।
तुमने ही अपनापन देकर
मुझको ज़िद्दी कर डाला था
अब चलो भुला दो भूल हुई
तुमको अर्पण सम्मान करूं.।।
सुमधुर स्वप्न अब बुनते हैं
स्वीकृति तुम्हारी हो जाए
स्वीकार चलो अब कर भी लो
अभिनंदन बारंबार करूं.।।
अभिनंदन बारंबार करूं.।।